झुमका सिटी बरेली में 9 साल बाद हिम्मत जुटाकर आए पुस्तक विक्रेता और प्रकाशक खासे मायूस हैं. दरअसल बरेली में ट्रेड फेयर में आए लोग किताबों को उलट-पुलट कर तो खूब देख रहे हैं, मगर क्रेता बहुत कम हैं. लिहाजा पुस्तक मेला बहुत घाटे में जा रहा है. मगर सबसे ज्यादा हैरानी हिंदुस्तान अख़बार के रवैये को लेकर है जो ट्रेड फेयर की दो-दो पन्नों की खबरें लगा रहा है, मगर बुद्धिजीवियों के इस अख़बार ने पुस्तक मेले पर चंद चार लाइनें लिखने की भी जहमत नहीं उठाई है.
रोज अख़बार में पापड़ से लेकर मेले में बिक रहे बर्फ के गोले तक का फोटो छपता है, मगर पुस्तक मेले की कवरेज नदारद है. बरेली वासियों को पता तक नहीं है कि ट्रेड फेयर के बीच अलग से लगे पुस्तक मेले में दो लाख से भी ज्यादा पुस्तकें उपलब्ध हैं, जबकि हिंदुस्तान प्रबंधन अगर चाहता तो विद्यालयों और शिक्षण संस्थानों को किताबों की खरीद के लिय प्रोत्साहित कर सकता था. गौरतलब है की हिंदुस्तान ने ब्रांड प्रमोशन के लिय दस दिन के ट्रेड फेयर का आयोजन किया है जो 3 मार्च तक चलेगा.