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उत्तर प्रदेश

बीमा के पैसे को लेकर शहीद सीओ के घर घमासान

: बीमा में नामिनी हैं शहीद सीओ के माता-पिता : पैसे पर अधिकार को लेकर बेवा परवीन ने दी चुनौती : 26 को होगी मामले में सुनवाई : देवरिया – प्रतापगढ़ जिले के कुंडा में शहीद सीओ जियाउल हक की बीमा राशि पर हक को लेकर उनके माता-पिता व पत्‍‌नी के बीच विवाद गहरा गया है। बीमा में नामिनी शहीद के माता-पिता को कोर्ट से नोटिस मिली है कि शहीद की बेवा परवीन आजाद ने पैसे पर अधिकार को लेकर आपत्ति दाखिल की है। मामले की सुनवाई 26 जुलाई को मुकर्रर है। इसकी भनक लगते ही शहीद के माता-पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई है।

: बीमा में नामिनी हैं शहीद सीओ के माता-पिता : पैसे पर अधिकार को लेकर बेवा परवीन ने दी चुनौती : 26 को होगी मामले में सुनवाई : देवरिया – प्रतापगढ़ जिले के कुंडा में शहीद सीओ जियाउल हक की बीमा राशि पर हक को लेकर उनके माता-पिता व पत्‍‌नी के बीच विवाद गहरा गया है। बीमा में नामिनी शहीद के माता-पिता को कोर्ट से नोटिस मिली है कि शहीद की बेवा परवीन आजाद ने पैसे पर अधिकार को लेकर आपत्ति दाखिल की है। मामले की सुनवाई 26 जुलाई को मुकर्रर है। इसकी भनक लगते ही शहीद के माता-पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई है।

देवरिया जनपद के खुखुंदू थाना क्षेत्र के ग्राम जुआफर निवासी शमशूल हक के बड़े बेटे जियाउल हक सीओ थे और उनकी तैनाती प्रतापगढ़ के कुंडा में थी। बीते दो मार्च की रात दो पक्षों में विवाद हो गया। मौके पर पहुंचे सीओ जियाउल हक की भी हत्या कर दी गई। मामला इस कदर तूल पकड़ा की शहीद सीओ के गांव मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राहुल गांधी, सैय्यद अहमद बुखारी, आरपीएन सिंह, जयाप्रदा समेत कई हस्तियों को आना पड़ा था।

मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद शहीद की पत्‍‌नी परवीन आजाद व शहीद के भाई को नौकरी मिली। बताया जा रहा है कि 2009 में जियाउल ने 3 लाख 20 हजार व नौ लाख रुपये का बीमा कराया था, जिसमें एक में अपनी मां हाजरा तो दूसरे में पिता शमशूल हक को नामिनी बनाया था। 2012 में परवीन के साथ जियाउल की शादी हुई। बीते 27 जून को इस बीमे के धन का भुगतान होना था, लेकिन 25 जून में ही शहीद की पत्‍‌नी परवीन ने आपत्ति दायर कर दी है। परवीन का कहना है कि मैं उनकी पत्‍‌नी हूं, इसलिए इस बीमे की रकम मेरी होनी चाहिए। पिता को नोटिस मिलने के बाद वह परेशान हो गए हैं।

नोटिस मिलने के बाद शहीद सीओ के पिता शमशूल हक ने जागरण को बताया कि 40वें में परवीन आजाद गांव आई थी। इसके बाद वह कभी गांव नहीं आई। मैं अब फोन करता हूं, तो भी फोन नहीं उठाती। जब वह गांव से गई तो बोली कि पैसे निकाल लीजिएगा। नोटिस मिलने के बाद भी मैंने उसे फोन मिलाया, लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया। अपने लाडले को मैंने बहुत मेहनत से पढ़ाया। आज यह दिन देखना पड़ रहा है। उधर जियाउल की मां की तबीयत भी खराब हो गई है। शमशुल हक ने बताया कि 26 को इस मामले में सुनवाई है।

देवरिया से ओपी श्रीवास्तव की रिपोर्ट.

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