फिल्म गुरु का डायलाग है – जब लोग तुम्हारी बुराई करने लगें तो समझो तरक्की कर रहे हो, ऐसा ही जमाने से होता आया है। समाज की बुराइयों से सीधे टक्कर लेने वालों को अक्सर यशवंत की मौजूदा हालत की तरह समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। जो कुछ भी उनके साथ घट रहा है, वो भी यही दर्शाता है। हालातों से घबराने की नहीं, बल्कि उनका डटकर सामना करने की जरूरत है। हम सबको ऐसे वक्त में उनका साथ देना चाहिए।
आखिर हम सब के लिए उन्होंने भी बहुत कुछ किया है। बुराई को देख आंख मूंद लेना आसान है लेकिन सच्चाई के साथ खडे़ होकर उसके खिलाफ लड़ने का जज्बा बहुत कम लोगों में पाया जाता है।
"तू न थकेगा कभी, तू न थमेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ।।।"
लेखिका पायल चक्रवर्ती पत्रकारिता से जुड़ी हुई हैं.
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