पंकज कुमार झा : होंगे अमेरिकन अमीर. हम अपने घर में उनसे ज्यादा सुखी और संतुष्ट हैं. चोट्टों का अहंकार तो देखिये. भाई का काफी आग्रह था एक बार घूमने आने का. यहाँ एक मित्र को बताया तो वे भी काफी जिद्द करने लगे. अंततः तय किया कि चलो हो ही आया जाय एक बार. हालांकि मेरी ऐसी कोई विशेष रूचि कभी नहीं रही. भारत को ही ढंग से देख लिया जाय तो इस जीवन के लिए काफी है. पर फिर भी प्लान किया है. लेकिन वीजा की प्रक्रिया देख कर सर पीटने का मन कर रहा है. बेहूदा अमेरिका खुद के अलावा शेष सबको चोर या बे-ईमान समझता है क्या?
ढेर सारी कागज़ी कारवाई आदि तक तो ठीक था. अब जो वहाँ मेज़बान होंगे उनसे भी इन्हें इन्विटेशन का पत्र चहिये. वो भी छः-सात पेज का. अभी इन्विटेशन वाला फ़ार्म देखा. न केवल खुद का सारा विवरण इन्हें दे मेज़बान, बल्कि इनकम का प्रूफ तक सारा रिटर्न समेत. जबकि जाना मुश्किल से दो हफ़्तों के लिए हैं. सोच रहा हूँ रद्द कर दूं यात्रा. आखिर आप किसी को ये कैसे कह सकते हैं कि अपने आय आदि की सारी जानकारी इस तरह मुझे भेज दो.
अमरीका माय फूट.
भाजपा से जुड़े पत्रकार पंकज कुमार झा के फेसबुक वॉल से.