Yashwant Singh : ये बहुत अच्छा हुआ. एक चैनल ने दूसरे चैनल का स्टिंग किया और जोरदार तरीके से दिखाया. इस स्टिंग के जरिए आप जान सकते हैं कि टीवी मीडिया की दुनिया कितनी गंदी, घटिया, सतही और जनविरोधी है. जहीर अहमद इसलिए पकड़ में आ गया क्योंकि वह खुला खेल खेलता है. यही काम दूसरे कई चैनल वाले साफिस्टिकेटेड तरीके से करते हैं, इसलिए पकड़ में नहीं आते. चैनल वन हो या एनडीटीवी या जी न्यूज या इंडिया न्यूज या तहलका…
हमाम में सभी नंगे हैं… सबका टारगेट रेवेन्यू बढ़ाना है… कोई एसओ को ब्लैकमेल करता है तो कोई खनन माफिया तो कोई नेता को तो कोई उद्योगपति को… तहलका वालों ने गोवा के खनन माफिया को ब्लैकमेल किया, डील की और उनसे अपना गोवा फेस्ट स्पांसर कराया. उसी फेस्ट के दौरान छेड़छाड़ की घटना में तरुण तेजपाल फंसे हैं और जेल काट रहे हैं. जी न्यूज वालों ने नवीन जिंदल को ब्लैकमेल किया और धरे गए. अब जिंदल भी फोकस चैनल व हमार टीवी खरीदकर जी न्यूज वालों से भिड़े पड़े हैं और दोनों एक दूसरे की पोलखोल में लगे हैं.
एनडीटीवी वालों पर आरोप है कि इन्होंने चिदंबरम की काली कमाई को चैनल में लगाया… इंडिया न्यूज वाले सुपारी पत्रकारिता करते हुए भाजपा-कांग्रेस से पैसे लेकर केजरीवाल व आम आदमी पार्टी को निपटाने में लगे हैं… सबके अपने अपने तरीके हैं उगाही व ब्लैकमेलिंग करने के… मीडिया वाले एक दूसरे की पोल तब खोलते हैं जब उनकी आपसी लड़ाई बढ़ जाती है. लेकिन भड़ास कई वर्षों से निष्पक्ष भाव से हर मीडिया हाउस के भीतर की गंदगी को बाहर ला दिखा बता रहा है. न्यूज एक्सप्रेस वालों ने चैनल वन व जहीर अहमद को किस तरह निपटाया है, उसे इस लिंक http://goo.gl/BEmBEO में दिए गए वीडियो को देखकर समझ जान सकते हैं…
मीडिया का जनविरोधी और खूंखार चेहरा सामने लाने के लिए न्यूज एक्सप्रेस टीम को बधाई देना बनता है… भड़ास की मुहिम को न्यूज एक्सप्रेस ने एक स्टिंग के जरिए काफी आगे बढ़ा दिया है…
मेरे एक मित्र हैं, मेरठ के, विशाल जैन.. उद्यमी हैं.. वे बहुत पहले से कहते थे मुझसे कि मीडिया एक संगठित ब्लैकमेलिंग गिरोह है… तब मैं उनकी बात नहीं मानता था.. भड़ास चलाते हुए मैंने मीडिया हाउसों के मोडस आपरेंडी को नजदीक से देखा तो यकीन करना पड़ा कि वाकई मीडिया वाले ब्लैकमेलर होते हैं… न्यूज चैनल इंडस्ट्री ब्लैकमेलरों का गिरोह है.. कम या ज्यादा सभी ब्लैकमेलिंग करते हैं… अखबार भी कम या ज्यादा ब्लैकमेलिंग करते हैं… कोई पेड न्यूज के रूप में तो कोई शासन पर खबर के जरिए दबाव बनाकर विज्ञापन लेने के रूप में…
ब्लैकमेलिंग के रूप अनेक हैं… कुछ तो ऐसे साफिस्टिकेटेड फार्मेट हैं जिससे लगता ही नहीं कि ब्लैकमेलिंग हो रही पर होता यही धंधा है.. जहीर अहमद भदेस और देहाती किस्म का प्राणी है जो साफ-साफ धंधा पानी उगाही ब्लैकमेलिंग स्टिंग आदि की बात कर लेता है… समझदार किस्म के शहरी मालिक संपादक ऐसी बातें जुबान पर नहीं लाते.. बस चुपके चुपके इशारे इशारे में कर गुजरते हैं…
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भड़ास4मीडिया के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.