मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की जमकर अवहेलना हो रही है और ऐसा कर रहा है चुनाव आयोग. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सारे प्रत्याशियों का विवरण चुनाव आयोग इसे अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करेगा ताकि मतदाता अपने प्रत्याशी के बारे में जान सके. इस विवरण में प्रत्याशी की सामान्य जानकारी से लेकर सम्पत्ति, मुकदमें आदि हैं. लेकिन लग रहा है कि चुनाव आयोग को इन सब चीजों से कोई मतलब नहीं है या फिर ये वहां की प्रतापी शिवराज सरकार का प्रताप कि उनकी पार्टी के प्रत्याशियों के बारे में जानकारी चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित ही नहीं कर रहा.
मामला है मध्य प्रदेश की बालाघाट विधान सभा क्षेत्र का जहां से भाजपा में कैबिनेट मंत्री रहे गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन इस बार फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. इनकी सम्पत्ति का ब्यौरा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर नहीं है और मंत्री जी का प्रभाव देखिए कि किसी भी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ये मामला आया ही नहीं है. कहने को तो चुनाव आयोग स्वतंत्र होता है लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसा क्यूं है कि आयोग की तरफ से कुछ किया नहीं जा रहा है. अगर प्रत्याशी ने अपने बारे में विवरण दे दिया है तो चुनाव आयोग को उसे तुरन्त वेबसाइट पर लगाना चाहिए था वरना प्रत्याशी का नामांकन रद्द करना चाहिए. इस मामले की जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना क्यूं की गई.