उत्तराखण्ड राज्य सरकार यदि मौसम विभाग द्वारा आपदा के एक सप्ताह पूर्व जारी भारी वर्षा की सूचना का संज्ञान लेकर यात्रा को कुछ समय के लिए यात्रा को स्थगित कर देती तो देवताओं के दर्शन को आए हजारों लोग दैवीय आपदा का शिकार बनने से बच जाते लेकिन सरकार अपनी राजनीतिक उठापटक में इतनी मशगूल थी कि मौसम विभाग की भारी वर्षा की चेतावनी की रिपोर्ट को रद्दी की टोकरी में डाल दिया और उसका खामियाजा तीर्थाटन को राज्य में आए देष भर के लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
प्रत्येक राज्य में केंद्र सरकार द्वारा मौसम विभाग की स्थापना की गई है इस विभाग द्वारा जारी की जाने वाले मौसम संबधी पूर्वानुमान जारी किए जाते है और यह अपेक्षा की जाती है कि राज्य सरकार व उनके अंग इस सूचनाओं का गंभीरता से संज्ञान लेंगी, लेकिन राज्य सरकार व उनके अधिकारी इस तरह की सूचनाओं को रद्दी की टोकरी में डालने में जरा भी देर नहीं लगाती है और इस तरह की लापरवाहियों का खामियाजा प्रदेश की भोली भाली जनता को अपनी जान देकर उठाना पड़ता है।
राज्य में आई इस आपदा से ठीक एक सप्ताह पहले प्रदेश में स्थित मौसम विभाग ने सूबे में भारी वर्षा की चेतावनी जारी कर दी थी लेकिन राज्य में हेमकुंड साहिब सहित पांचो धामों का काम देख रहे अधिकारियों के साथ ही राज्य के आलाधिकारियों ने मौसम विभाग की इस चेतावनी को आया गया कर दिया जिसका परिणाम अब सामने है और हजारों लोगों की जाने नहीं बचाई जा सकी। मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनके द्वारा जारी यह मौसम संबधी चेतावनी इस बार गंभीर थी और वे स्वयं भी चिंतित थे। सरकार को अब यह भी चिन्हित करना चाहिए कि किस अधिकारी द्वारा इतनी गंभीर मौसम की चेतावनी को नजरदांज किया।
अनिल बहुगुणा की रिपोर्ट.