: सरपंच, सचिव और उपयंत्री को 6-6 वर्ष की सजा और अर्थदण्ड : गबन के आरोप में न्यायालय ने सुनाया फैसला : जिले की जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत चकमी का है मामला : डिण्डौरी। हर हाथ को १०० दिन का सुनिश्चित रोजगार मुहैया कराने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की राशि का गबन करना सरपंच, सचिव और उपयंत्री को मंहगा पड़ गया। न्यायालय ने तीनों आरोपियों को गबन के आरोप में ६-६ वर्ष की सजा सुनाई है।
लगभग ६ वर्ष पूर्व सरपंच, सचिव और उपयंत्री द्वारा मनरेगा के लाखों रूपये मनमाने ढंग से फूंक दिये गये थे जिसकी शिकायत जिला प्रशासन के आला अफसरों से भी उस दौरान की गई थी। शिकायत की जांच जिला पंचायत द्वारा कराये जाने पर इस बात की भी पुष्टि हो गई कि सरपंच, सचिव व उपयंत्री द्वारा शासकीय राशि का गबन किया गया है। जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत द्वारा पुलिस थाना करंजिया पहुंचा दिया गया जिसके बाद तीनों के विरूद्ध अलग-अलग धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया गया।
यह है पूरा मामला रू- जानकारी के मुताबिक जनपद पंचायत करंजिया की ग्राम पंचायत चकमी की तत्कालीन सरपंच ललिता बाई, सचिव बद्री प्रसाद सिंह और उपयंत्री रवीन्द्र भालेकर की तिकड़ी ने मिलकर मनरेगा की राशि का जमकर बंदरबाट किया था। जानकारी में बतलाया गया कि २००६-०७ से ३१ अगस्त २००८ तक ग्राम पंचायत के लिए ८५ लाख ८७ हजार ३८ रू. की राशि जारी की गई थी जिसमें से इन तीनों आरोपियों के द्वारा लगभग १९ लाख ४८ हजार ६० रूपये मनमाने ढंग से निकाल कर आपस में बांट लिये गये। जब यह जानकारी ग्राम पंचायत के अन्य जनप्रतिनिधियों और ग्रामवासियों को लगी तब उन्होंने प्रशासन के आला अफसरों से इस संबंध में आपत्ति जाहिर करते हुए सरपंच, सचिव व उपयंत्री की शिकायत की थी। उल्लेखनीय है कि उस दौरान इस मामले ने जमकर सुर्खियां बटोरी थीं।
जांच में हुआ खुलासा रू- शिकायत की जांच जिला पंचायत के अफसरों द्वारा शुरू कराई गई। पंचायत के दस्तावेज और आबंटन की तमाम जानकारियां एकत्रित करने के बाद इस बात की तो पुष्टि शुरूआती जांच में ही हो गई थी कि मनरेगा की राशि में हेरफेर किया गया है। जांच को और गति देते हुए जिला पंचायत के तत्कालीन अधिकारियों ने लगातार पूछताछ और दस्तावेजों की छानबीन कर यह पाया कि सरपंच, सचिव और उपयंत्री की तिकड़ी ने सरकारी राशि के गबन का जमकर खेल खेला है। जांच प्रतिवेदन तैयार कर जिला प्रशासन के आला अफसरों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उस दौरान पदस्थ जिला पंचायत सीईओ के निर्देश पर जांच प्रतिवेदन पुलिस थाना करंजिया की ओर भेजा गया जिसके बाद पुलिस ने अग्रिम कार्यवाई प्रारंभ की।
सुनाई गई सजा, लगाया अर्थदण्ड रू- जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात पुलिस थाना करंजिया में १५ अक्टूबर २००८ को धारा ४२०, ४०९ और ३४ आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर लिया गया, जिसके बाद पूरा मामला न्यायालय पहुंच गया। मामला दर्ज होने के बाद लगभग ५ वर्षों तक आरोपों और दलील का दौर न्यायालय में चलता रहा तथा आरोप सिद्ध होने के पश्चात् अपर जिला सत्र न्यायाधीश द्वारा तीनों आरोपियों तत्कालीन सरपंच ललिता बाई, सचिव बद्री प्रसाद सिंह और उपयंत्री रवीन्द्र भालेकर को ६-६ वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही तीनों आरोपियों पर २-२ हजार रूपये का अर्थदण्ड भी लगाया गया है। आरोपियों द्वारा यदि अर्थदण्ड नहीं दिया जाता तो एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास आरोपियों को भुगतना पड़ेगा।
इन्दीवर कटारे की रिपोर्ट.