Sanjaya Kumar Singh : खबर है कि मुंबई पुलिस ने फेसबुक पर ''ठाकरे जैसे लोग रोज मरते एवं जन्म लेते हैं, इसके लिए बंद नहीं होनी चाहिए'' जैसी टिप्पणी पोस्ट करने और इसे लाइक करने वाली दो लड़कियों को गिफ्तार कर लिया। उन्हें जमानत करानी पड़ी। ठाकरे और उनके भक्त जो बोलते-करते रहे उसपर मुंबई पुलिस जरा भी गंभीर होती तो न 'ठाकरे' महान होते और न वह इतनी नालायक कि पोस्ट डिलीट करने और माफी मांगने के बाद भी कार्रवाई करती। हमारे यहां कहावत है, "कदुआ पर सितुहा चोख" यानी कद्दू / घीया / लउकी पर तो सितुहा (सीप) की धार भी तेज होती है।''
वही हाल मुंबई पुलिस का है। एफबी पर पोस्ट के कारण उसने लड़कियों पर जो धाराएं लगाई हैं वही धाराएं इसे ज्यादा गंभीर तरीके से उद्धव / राज / साहेब के कई बयानों पर लग सकती है, जो रिकार्ड में हैं। पर मुंबई पुलिस को उनका पता ही नहीं होगा।
मेरा मानना है कि आखिर वाले के जाने के बाद पहले दोनों पर अभी से सख्ती नहीं हुई तो कुछ समय बाद महाराष्ट्र में पुलिस की जरूरत ही नहीं रहेगी। महाराष्ट्र सरकार पुलिस प्रशासन का काम शिव सेना से आउटसोर्स करके करा लेगी मुफ्त में। करोड़ों की बचत होने लगेगी माया नगरी में। और माया के फेर में वहां के महान नागरिक जिस तरह दंडवत हैं उससे यही लगता है कि उन्हें भी सुरक्षा के लिए पुलिस से बेहतर शिवसैनिक ही लगते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से साभार.