महुआ के हेड राणा यशवंत का कवि रूप

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जी न्यूज में काम कर चुके, आजतक में वरिष्ठ पद पर रहे और इन दिनों महुआ चैनल की कमान संभाले राणा यशवंत कविताएं व ग़ज़ल भी लिखते हैं. उनका एक ब्लाग है, ''बोलो रामखेलावन'' नाम से. इस ब्लाग पर एक सरसरी नजर डालने से राणा यशवंत की संवेदनशीलता, विचारधारा व रचनाधर्मिता को जाना जा सकता है. राणा यशवंत की कविताओं और ग़ज़लों का एक संग्रह जल्द आने वाला है. उनके ब्लाग से साभार लेकर कुछ रचनाएं पेश हैं-

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इक राह तेरी याद सी, चलती है रातभर
इक साक़ी इक सुराही भी चलती है रातभर

चूल्हे की आग को लिये सदियां गुजार दीं
इक रोटी आसमान में चलती है रातभर

उसने भी चलो सीख लिया हंसने का सलीका
करवट बदल के यार वो, रोती है रातभर

मिटना कबूल क्या करे शबनम को इश्क है
सूरज के इंतजार में सजती है रातभर

फिर वही खुशबू है, बारिश, कागजों की कश्तियां
मासूम सी शरारत कोई, मचलती है रातभर

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कभी यार, कभी फरिश्ता, कभी खुदा लगता है
गाढे वक्त में मददगार, क्या क्या लगता है

अपना सुना औऱ लिहाज भी नहीं रखा आपने
फरेब औरों का सुनना तो बड़ा अच्छा लगता है

अपने पसीने की पूरी कीमत मांगते हैं
हमारा ख़ून भी उन्हें सस्ता लगता है

शहर में सबकुछ मिलेगा,बोलिये क्या चाहिये
बाजार को मोटी जेबवाला अच्छा लगता है

साथ जीने मरने की कसमें पुरानी हो गयीं
लैला को मजनूं कहां अब अच्छा लगता है

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मेरे दौर में ये कैसी राज़दारी है
ज़मीन हल्की है, हवा भारी है

गोलियों पर उसी ने नाम लिखा था
भीड़ में आज जिसकी तरफदारी है

तोड़ डाले बुतखाने के सारे खुदा जिसने
बुतपरस्तों से अब उसी की यारी है

इंसां जबसे मौत का सामान बन गया
कभी मुंबई, कभी रावलपिंडी, धमाका जारी है

दिहाड़ी से दोगुनी थाली हो गयी है
ये कैसी जम्हूरियत, कितनी मक्कारी है

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नीरा राडिया

वो शैतान के जादू की शापित छड़ी है
रात बिछाती है दिन में
रात में दिन पसारती है
कौवों को सफेद
कबूतरों को काला बनाती है।

देवलोक की गुफाओं में
अबूझ कंदराओं में
कुबेर का करिश्माई दीया है
हर आराध्य बड़ा साफ दिखता है
मरी मुरादों को भी संजीवनी पिलाता है।

उसने खुद खड़ा किया है अपना इंद्र
मेनका की मृगतृष्णा बनाई है
नारद की वीणा के राग गढे हैं
लक्ष्मी के कदम साधे हैं
वो मायानगरी की सबसे बड़ी माया है।

उसने सोख लिया है धरती का रस
छीन ली है वेताल की शक्ति
पंगू कर दिए हैं यक्ष के प्रश्न
पहाड़ भी पनाह मांगता है
उसने शेषनाग को साध रखा है।


अन्य रचनाएं, लेख आदि पढ़ने के लिए राणा यशवंत के ब्लाग तक इस लिंक के जरिए पहुंच सकते हैं- www.ranayashwant.blogspot.com

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