आप सभी को बताना चाहता हूं कि महुआ में अभी तक तनख्वाह नहीं आई है. इनपुट और आउटपुट टीम की तनख्वाह भी बढ़ा दी गई है मगर पिछले दो साल से टेक्निकल टीम की तनख्वाह नहीं बढ़ाई गई है. पूछने पर जवाब मिलता है कि कंपनी घाटे में है. टीम के हेड भी हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं.
महुआ न्यूज़ लाइन में जिस तरह से बन्दों को मुहमांगी सेलरी पर रखा गया है उससे लोग सवाल उठाने लगे हैं कि घाटे में चलने वाली कंपनी और चैनल का क्या होगा… राम जाने… पुराने बन्दों के लिए अब महुआ में कोई जगह नहीं है. यहाँ वही है जिसकी लाठी उसकी भैंस… महुआ न्यूज़ पीसीआर में बंदे 5 हज़ार रुपये में काम करने पर मजबूर हैं.
महुआ न्यूजलाइन के एक कर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. मेल भेजने वाले ने नाम पहचान गोपनीय रखने का अनुरोध किया है.