महेश भट्ट जैसे लोग भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर ऐसे धब्बे की तरह हैं जिनको अगर कोई और देश होता तो ज़रा बर्दाश्त नहीं करता। ताजा मामला संजय दत्त का है जिनकी हिमायत में महेश उतरे है. पहली बात तो जघन्य अपराध करने के बाद भी नेता-अभिनेता अपनी पहुंच के बल पर जल्द ही आजाद हो जाते हैं या भारतीय कानून की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं. ऐसा नहीं होता तो देशद्रोह जैसे आरोप के बाद भी संजय दत्त सजायाफ्ता होने के बाद समय-समय पर तफरीह के लिए जेल से बाहर नहीं आ पाते। सलमान पर चिंकारा हिरन के शिकार मामले की सुनवाई कब से चल रही है लेकिन फैसला नहीं आ पा रहा है अब तो उन्होंने मामले की पुनः सुनवाई की अर्जी भी लगा दी है.
महेश भट्ट का खुद का बेटा हेडली से सम्बन्धों को लेकर पहले ही आरोपित है फिर वे संजय की वकालत कैसे कर सकते हैं. खुलेपन के नाम पर आजादी के नाम पर जैसी फ़िल्में महेश भट्ट आज बना रहे है वैसी फ़िल्में सिर्फ एक विकृत दिमाग का आदमी ही बना सकता है. एक विलायती पोर्न एक्टर को हीरोइन बना कर बॉलीवुड में नंगेपन का नाच और भारतीय युवा पीढ़ी को गर्त में धकेलना महेश भट्ट का ही कारनामा है.
अपनी ही बेटियों के किस लेते हुए भद्दे फोटो प्रकाशित कराना सिर्फ महेश भट्ट ही कर सकते हैं. पिछले ५-७ साल में महेश और भट्ट परिवार ने जैसी फ़िल्में बनाई है उनसे युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति भूल कर भटकाव के रास्ते पर ही बढ़ रही है जिसका पूरा श्रेय भट्ट और ऐसे ही दूसरे पैसे के लालची फिल्मकारों को है.
लेखक हरिमोहन विश्वकर्मा से vishwakarmaharimohan@gmail.com के जरिए सम्पर्क किया जा सकता है.