देवरिया। हाई प्रोफाईल एवं प्रदेश सरकार को तनाव में डाल देने वाला काण्ड – सीओ जियाऊल हक की मौत के मामले में अब एक नई खबर यह आ रही है कि जिस दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके कैबिनेट मंत्री आजम खां शहीद के पैतृक गांव गए थे और वहां जिस तरीके से कुछ चुनिन्दा लोगों के द्वारा किए जा रहे विरोध का सामना मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट मंत्री को करनी पड़ी थी उसकी फाईल खुलने जा रही है अर्थात विरोध और हंगामा करने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन ने जांच करने का आदेश दे दिया है। जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कानूनी दण्डात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।
जानकारों का मानना है कि जिलाधिकारी ने सत्ता पक्ष की विधायक गजाला लारी से वार्ता के बाद उक्त निर्णय लिया है। सम्भावना जताई जा रही है कि इस मामले में जिम्मेदार शासन एवं प्रशासन के कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है। इस तरह की जांच का मामला तब उठा है जब दो दिन पूर्व ही जियाऊल का चालीसवां सम्पन्न हुआ है। यह एक महज संयोग है अथवा एक सोची समझी रणनीति कुछ स्पष्टरूप से कहा नही जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि प्रतापगढ़ के कुण्डा में तैनात डिप्टी एसपी जियाऊल हक की 2 मार्च को हत्या कर दी गई थी। उसके बाद डिप्टी एसपी की पत्नी परवीन आजाद ने मुख्यमंत्री के आगमन के बाद ही शहीद के शव को दफनाए जाने की मांग की थी वरना लखनऊ में जाकर मुख्यमंत्री आवास के सामने आमरण अनशन की धमकी दी थी। जिसके बाद आनन फानन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं कैबिनेट मंत्री आजम खां 4 मार्च को सारा काम धाम छोड़कर हेलीकाप्टर से जुआफर गांव पहुंचे थे। समस्त प्रशासनिक अमला एवं सुरक्षा के व्यापक व्यवस्था के बाद भी मुख्यमंत्री के पहॅुचने पर वहां उपस्थित कुछ चुनिन्दा लोगों ने जिन्हें बाहर से आना बताया गया था, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं कैबिनेट मंत्री आजम खां के साथ दुर्व्यवहार करने की कोशिश की थी एवं उनके सामने ही अपशब्दों का जमकर प्रयोग किया था। कुछ लोगों ने तो आजम खां को रामपुर का छक्का तक कह डाला था। खुद जियाऊल की विधवा परवीन आजाद ने मुख्यमंत्री को जो मांग पत्र दिया था उसे मुख्यमंत्री से रिसीव करने के लिए कहा था।
उपरोक्त घटनाओं से मुख्यमंत्री एवं कैबिनेट मंत्री काफी हद तक आहत एवं दुःखी नजर आए थे। यही नहीं, कुछ नाराज युवकों ने तो उस दिन सुबह जुआफर गांव में पहुंचे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक श्री शर्मा के सामने ही प्रदर्शन करते हुए जमकर हंगामा किया था तथा उन्हें चूड़ी एवं चप्पल दिखाते हुए वापस जाओ के नारे लगाए थे। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक श्री शर्मा के शब्दों में उन्होंने केवल इस नाते इन हंगामों एवं विरोध को सहन किया था, क्योंकि उनके विभाग के एक अधिकारी की हत्या हो गई थी। वरना वह इन अशोभनीय हरकतों कत्तई को बर्दाश्त करने वाले नहीं थे। श्री शर्मा ने इस संवाददाता के साथ बातचीत में कहा था कि जुआफर गांव वाले बेहद संजीदा और दुखी है लेकिन बाहर से आए कुछ लोग माहौल को बिगाड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं।
जुआफर में उस दिन इन सब हंगामों के दौरान प्रशासनिक अधिकारी और सुरक्षाकर्मी बेहद असहज एवं असहाय नजर आ रहे थे। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य तो यह रहा कि जुआफर गांव में जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं कैबिनेट मंत्री आजम खां शहीद की विधवा परवीन आजाद से घर के अन्दर बने एक ऊपर वाले वाले कमरे में जब वार्ता कर रहे थे तो उस समय वहां उपस्थित सभी उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी एवं मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात अन्य सुरक्षा कर्मियों ने समस्त मीडियाकर्मियों एवं पत्रकारों को बाहर कर दिया था। लेकिन जिस कमरे में मुख्यमंत्री ने शहीद की विधवा परवीन आजाद से वार्ता की वहां दर्जनों ऐसे लोगों ने इस गोपनीय वार्ता को अपने मोबाईल कैमरे में रिकार्ड किया, जिनका मीडिया से न तो कोई लेना देना था और न ही उनका कोई वास्ता था। उन लोगों ने तब तक मोबाइल से रिकार्डिंग की जब तक मुख्यमंत्री वार्ता करने के बाद उस कमरे से बाहर नहीं चले गए। परन्तु मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी या जिम्मेदार शासन के अधिकारियों ने किसी ने भी मोबाइल द्वारा किए जा रहे उक्त गोपनीय वार्ता की रिकार्डिंग के बारे में पूछने की जहमत तक नहीं उठाई थी। उन लोगों ने किस वजह से मोबाइल में सारी बातों को कैद किया यह आज तक कोई नहीं जान पाया।
हंगामे और विरोध को तो उस समय सामान्य बताया गया था। लेकिन शासन की नाराजगी अब सामने आई है। सोमवार को सपा की रामपुर कारखाना विधान सभा क्षेत्र की विधायिका फसीहा गजाला लारी ने जिलाधिकारी देवरिया विवेक से इस सम्बन्ध में मुलाकात की और उस दिन की घटना के बारे में विस्तार से चर्चा की। सम्भवतः विधायिका जी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कैबिनेट मंत्री आजम खान की आहत भावनाओं से जिलाधिकारी को विधिवत अवगत कराया है।