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सुख-दुख...

यशवंत जी आपसे हमें बहुत उम्मीदें हैं

भड़ास के चार वर्ष पूरे होने पर मैंने भी इस साईट के लिए एक लेख लिखा था. मैंने तो उसका शीर्षक कुछ और दिया था पर यशवंत ने अपनी मनमर्जी से उसका शीर्षक बदल कर रख दिया था- “शराबी और बदजुबान यशवंत की दो बुराइयां.” आज जब यशवंत इंडिया टीवी के विनोद कापड़ी और उनकी पत्नी साक्षी जोशी द्वारा गौतम बुद्ध नगर (नोयडा) जिले के दो थानों में अलग-अलग दर्ज कराये गए दो मुकदमों में गिरफ्तार कर के जेल भेजे गए हैं तो मुझे बरबस वह लेख याद आ जाता है.

भड़ास के चार वर्ष पूरे होने पर मैंने भी इस साईट के लिए एक लेख लिखा था. मैंने तो उसका शीर्षक कुछ और दिया था पर यशवंत ने अपनी मनमर्जी से उसका शीर्षक बदल कर रख दिया था- “शराबी और बदजुबान यशवंत की दो बुराइयां.” आज जब यशवंत इंडिया टीवी के विनोद कापड़ी और उनकी पत्नी साक्षी जोशी द्वारा गौतम बुद्ध नगर (नोयडा) जिले के दो थानों में अलग-अलग दर्ज कराये गए दो मुकदमों में गिरफ्तार कर के जेल भेजे गए हैं तो मुझे बरबस वह लेख याद आ जाता है.

मैंने अपने लेख में कहा था- “यशवंत से मेरी लखनऊ में मुलाक़ात के बाद हम लोग कई बार मिले और आज मैं यह कह सकती हूँ कि वे मेरे अपने घर के प्रिय सदस्य की तरह हैं. कई ऎसी बाते हैं जो उन्हें तमाम दूसरे लोगों से अलग करती हैं. सबसे पहले तो मैं उनकी बेबाकी और सत्यप्रियता की कायल हूँ. इसके अलावा उनकी निर्भीकता भी अपने ढंग की निराली है. जिन संपादकों और अखबार मालिकों से अबतक सारे पत्रकार थर-थर कांपा करते थे यशवंत ने उन्हें पहली बार कांपने पर मजबूर कर दिया, यह कोई मामूली बात नहीं थी. क्योंकि जिन अखबार मालिकों और संपादकों के बारे में यशवंत अपने सीमित साधनों से लिख रहे थे वह बहुत ही हिम्मत चाहती थी. इसके अलावा मैं उनकी लेखनी की धार की भी कायल हूँ. मैंने यह अनुभव किया है कि जब वे किसी विषय पर लिखते हैं तो बस लिखते ही चले जाते हैं. जिस कुशलता से वे तमाम बिन्दुओं कों एकीकृत करते हुए एक बिंब विधान प्रस्तुत करते हैं और उसमें अपना एक आक्रामक तेवर प्रदान करते हैं, वह अपने-आप में अत्यंत ही प्रशंसनीय है.”

लेकिन इसके साथ मैंने यह भी लिखा था कि यशवंत की कई बाते जहाँ मुझे काफी पसंद है और मैं हमेशा उनकी प्रशंसा करती हूँ वहीँ “उनकी कुछ ऐसी बाते भी हैं जो मुझे पसंद नहीं.” मैंने लिखा था कि मैं वे बातें भी यहाँ लिख रही हूँ इस उम्मीद के साथ कि वे इन्हें प्रकाशित करेंगे चाहे वे बातें उन्हें अच्छी लगे या बुरी. शायद मुझे ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए था क्योंकि यशवंत जैसा खुले स्वभाव का आदमी मैंने बहुत कम देखा होगा. अपनी तरफ से सच बोल सकने की ताकत रखने वाले यशवंत के बारे में मुझे स्वतः ही जानना चाहिए था कि वे अपने बारे में भी लिखने से एक पल को नहीं हिचकेंगे. उस समय मैंने लिखा था- “सबसे पहली बात जो मैं उन्हें कहना चाहूंगी वह उनकी शराब पीने की आदत से ताल्लुक रखती है. वे यह जानते हैं कि सब जानते हैं कि वे शराब पीते हैं, कई बार जम कर पीते हैं, समय-असमय पीते हैं. वे यह भी जानते हैं कि कई लोग उन्हें शराबी कहते हैं और शराब की दशा में की गई उनकी बदजुबानी से भी डरते हैं.” शायद इन्ही शब्दों के आधार पर यशवंत ने इस लेख का शीर्षक दे दिया था.

आज यशवंत नोयडा पुलिस द्वारा गिरफ्तार करके जेल भेजे गए हैं. अब उन्हें जेल में पांच दिन हो गए हैं. पता नहीं कब तक उनकी जमानत होगी. पता नहीं वे जेल में किस हालत में होंगे. इस दौरान मेरी बातचीत यशवंत की पत्नी से हुई है. मुझे इस बात की बेहद खुशी हुई कि उनकी पत्नी ने इस कठिन दौर में भी अपनी पूरी हिम्मत बना रखी है. वे बातचीत के दौरान बहुत ही संजीदा थीं. उनकी बातचीत और उनके विचारों से मैंने बहुत कुछ सीखा और मुझे इस बात का पूर्ण भरोसा हुआ कि यशवंत की पत्नी बिलकुल उन्हीं की तरह योद्धा हैं. शेर की पत्नी शेरनी. उन्होंने इस अवसर पर दोनों बच्चों को पूरा संबल दे रखा है और स्वयं की भावनाओं पर भी पूरा नियंत्रण रखे हुए हैं. यह बहुत बड़ी बात है, बहुत खुशी की बात है क्योंकि ये सारे पल बहुत आसानी से निकल जाया करते हैं, यदि व्यक्ति के मन में विश्वास हो, संयम हो, ताकत हो. यशवंत की पत्नी में मैंने ये सारी बातें देखीं और मुझे इस बात से काफी मजबूती मिली.

इसके साथ ही उनकी पत्नी भी उन्हीं दो बातों से दुखी हैं जिनकी ओर मैंने अपने इस लेख में इशारा किया था. मैंने कहा था- “मेरी उनसे गहरी नाराजगी इस बात से है कि जब वे बखूबी समझते हैं कि वे शराब पर नियंत्रण कर सकते हैं. इस बात को भी खूब जानते हैं कि वे बातचीत में स्वयं पर आसानी से नियंत्रण रख सकते हैं तब वे जानबूझ कर ऐसा कुछ क्यों करते हैं जिससे उन्हें और उनके इष्ट-मित्रों को किसी प्रकार से भी उनके लिए कोई भी ऐसे शब्द सुनने पड़े जो उनके व्यक्तित्व के लिए अच्छा नहीं लगता हो.” मैंने यह भी कहा था- “इस बात की नाराजगी मुझे निश्चित रूप से है और मैं इस लेख के माध्यम से भी अपनी बात उन तक रखना चाहती हूँ कि अपने इष्ट-मित्रों के लिए ही सही यदि वे अपनी इन दो कथित कमजोरियों से ऊपर उठ पायेंगे तो वह वास्तव में बहुत अच्छा होगा और मुझे भी बहुत खुशी मिलेगी. वैसे मुझे यह विश्वास है कि समय के साथ उनमे स्वयं ही ये परिवर्तन हो जायेंगे.” जो बात मैंने उस समय कही थी, यशवंत की पत्नी, उनको दिल से चाहने, प्यार करने, इज्जत और सम्मान देने वाली उनकी पत्नी भी बिलकुल यही चाहती हैं. उनका कहना है कि यशवंत एक शानदार आदमी हैं, बिलकुल अलग लेकिन यदि वे अपनी इन दो आदतों को दूर कर पाते तो बहुत अच्छा होता.

यशवंत का एक-एक पल जेल में रहना हम सभी लोगों को बहुत अधिक अखर रहा है. यशवंत की भाभी होने के नाते मैं इस पूरे घटनाक्रम से बेहद आहत, दुखी और परेशान हूँ. मैं चाहती और मनाती हूँ कि जल्द से जल्द यशवंत की जमानत हो जाए और वे हँसते मुस्कुराते बाहर निकलें. मैं यह जानती हूँ कि ऐसा ही होगा भी और यशवंत जब जेल से बाहर आयेंगे तो उन पर लेश भर मलाल नहीं होगा, उनका चेहरा पहले की तरह चमचमाता और मुस्कुराता होता और उनकी प्रखरता में भी कोई कमी नहीं आएगी. मेरा मन यह भी कहता है कि जिस प्रकार से यशवंत के खिलाफ यकबयक मुक़दमा दर्ज कर लिया गया, उनके चुपके से गलत तरीके से उठा कर जेल भेज दिया गया और जिस प्रकार से नोयडा पुलिस ने उन्हें किसी से मिलने तक नहीं दिया था और अब जिस तरह से पुलिस उनके बेल का पुरजोर विरोध कर रही है, उससे दाल में साफ़-साफ़ कालापन दिख रहा है. पुलिस की ये गतिविधियां निश्चित रूप से निंदनीय हैं. जिस प्रकार प्रथमदृष्टया इस प्रकरण में ऊँचे रसूख का इस्तेमाल हुआ दिखता है, वह भी पत्रकारिता और पत्र-जगत के लिए शुभ सन्देश नहीं है. बहुत संभव है कि मामला अभी बहुत आगे तक जाए. स्वाभाविक है कि यदि यशवंत को फर्जी फंसाया गया होगा तो उनके जैसा लड़ने-भिड़ने वाला आदमी हाथ पर हाथ रख कर चुप तो नहीं बैठेगा.

लेकिन इसके साथ ही शायद यह बहुत जरूरी है कि यशवंत भी आत्मावलोकन और आत्ममंथन करें और इस बात को समझें और जानें कि उनपर अपने अलावा अपनी पत्नी, अपने दोनों प्यारे बच्चों, भड़ास और अपने असंख्य चाहने वालों की भी जिम्मेदारी है. इस जिम्मेदारी का सीधा मतलब है स्वयं पर संयम और नियंत्रण. मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि उस लेख में लिखी हुई बात कि “मैं इस लेख के माध्यम से भी अपनी बात उन तक रखना चाहती हूँ कि अपने इष्ट-मित्रों के लिए ही सही यदि वे अपनी इन दो कथित कमजोरियों से ऊपर उठ पायेंगे तो वह वास्तव में बहुत अच्छा होगा और मुझे भी बहुत खुशी मिलेगी. वैसे मुझे यह विश्वास है कि समय के साथ उनमे स्वयं ही ये परिवर्तन हो जायेंगे” अब वास्तव में साकार हो सकेगा और हम जल्द ही यशवंत के जीवन में एक और सुनहरा सवेरा देखेंगे. 

लेखिका डॉ. नूतन ठाकुर, लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं.


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Yashwant Singh Jail

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