दलित अत्याचार मामले में संयुक्त संपादक सहित दो पत्रकारों और एक क्लर्क को जेल भेजे जाने का मामला सामने आया ही था कि यूएनआई के तीन और पत्रकारों को भी जेल भेजे जाने की गहरी आशंका संबंधी चर्चा ने जोर पकड़ना शुरु कर दिया है। ये मामला 'महिला उत्पीड़न' का है और इसमें पहले से ही जेल की हवा खा रहे पत्रकार भी शामिल हैं।
दलित अत्याचार मामले में पूरे मीडिया जगत में किरकिरी होने के बाद से प्रबंधन पहले से ही सकते में है। प्रबंधन की भी टांग इस मामले में फंसी हुई दिखती है क्योंकि इस प्रतिष्ठित संस्थान में विशाखा मामले में उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशाों का भी पालन नहीं किया गया है। इस चर्चित मामले में महिला आयोग भी नजर रखे हुये है। (कानाफूसी)