सत्ता बदलने से अधिकारियों के तेवर भी बदल गए. कोर्ट के आदेश पर जो जांच चार महीने में पूरी करनी थी, उस पर पुरानी सरकार के कार्यकाल में तीन महीने बीतने के बाद भी कान नहीं धरा जा रहा था, पर नए निजाम के बदलते ही प्रमुख सचिव ने मामले में जांच शुरू कर दी है. अब इसे सत्ता बदलने की हनक कहें या फिर कोर्ट का डर, पर जांच शुरू हो गई है. मामला आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर से संबंधित है.
मंगलवार को अपराह्न एक बजे से करीब 2 घंटे तक आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने अनूप मिश्रा, मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश के सामने कुंवर फ़तेह बहादुर, पूर्व प्रमुख सचिव, गृह एवं विजय सिंह, सचिव, मुख्य मंत्री के विरुद्ध चल रही जांच में अपना पक्ष प्रस्तुत किया. मुख्य सचिव को यह आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच द्वारा रिट याचिका संख्या 11834/ 2011 (एमबी) अमिताभ ठाकुर, बनाम कुंवर फ़तेह बहादुर एवं अन्य में दिया गया था. हाई कोर्ट ने 29 नवंबर 2011 के अपने आदेश में कहा था कि अमिताभ द्वारा प्रस्तुत सभी तथ्यों पर विचार करते हुए मुख्य सचिव चार महीने में अपनी जांच पूरी करें. चूँकि प्रकरण में तीन माह से ऊपर का समय हो गया है, अतः मुख्य सचिव को अवमानना से बचने के लिए चार माह की निर्धारित अवधि में यह जांच पूरी करनी है.
अमिताभ ने कुंवर फ़तेह बहादुर, प्रमुख सचिव (गृह), विजय सिंह, सचिव, मुख्यमंत्री एवं अन्य पर स्वयं को एक लंबे समय से प्रताडित करने के आरोप लगाते हुए यह रिट याचिका दायर की थी. इस रिट याचिका में उन्होंने कई दृष्टांत दिये हैं जिनमे उन्हें इन अधिकारियों द्वारा जानबूझ कर व्यक्तिगत वैमनस्य के तहत परेशान किया जाता रहा है. इसमें उनके स्टडी लीव नहीं देने, एसपी गोंडा के रूप में निलंबन के प्रकरण को सालों लटकाने, एसपी देवरिया के रूप में एक जांच को समाप्त हो जाने के बाद नियमों के विरुद्ध दुबारा प्रारम्भ करने, कोई जांच लंबित नहीं होने के बावजूद डीआईजी पद पर नियमानुसार प्रोन्नति नहीं करने तथा एसपी रूल्स और मैनुअल के अस्तित्वहीन पद पर तैनाती के प्रकरण शामिल हैं. हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार मुख्य सचिव को यह जांच 02 अप्रैल तक समाप्त करनी है.