Vineet Kumar : रजतजी, जरा सोचिए कि जब आपके ही चैनल के बड़े पद पर बैठे शख्स (नकवीजी) को मोदी की अदालत सजने पर इतनी तकलीफ हुई कि इस्तीफा तक दे दिया तो उन दर्शकों पर क्या असर पड़ा होगा जो पिछले 21 सालों से खास सम्मान और भरोसे के साथ इस शो को देखती रही. कॉमेडी नाइट विद कपिल में आपका बेहद ही तकलीफदेह बचपन, घंटाघर के दस बाइ दस का कमरा और उसकी दास्तान सुनकर मेरी भी आंखों में आंसू आ गए, कितनी तकलीफ झेलते हुए आपने "इंडिया टीवी एम्पायर" खड़ा किया जिसके बारे में बीबीसी एक मुलाकात और ओपन मैगजीन में सुन-देख चुका हूं..
आपका दूसरे के घर जाकर तीसरे का चेहरा टीवी पर देखना अतीत का हिस्सा हो गया लेकिन अब भी लाखों दर्शक इसी हालत में टीवी देख रहे हैं. दुत्कारे जाने के बावजूद, गालियां खाने के बावजूद..एक उम्मीद से, मनोरंजन से. अब सोचिए कि एक तरफ दर्शक आपकी ये कहानी सुनती है और भावुक होती है और दूसरी तरफ ये सुनने को मिलता है कि आप मैनेज्ड हो गए हैं, कैसा लगता होगा उन्हें..जो आम आदमी को तकलीफ पहुंचाएंगा, उसे नहीं छोडूंगा..कपिल शर्मा से जब आप ये कह रहे थे, उसमें आपकी आवाज नहीं थी बल्कि बॉस के खोखले से गुजरती हवा थी.
युवा मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.
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