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राजा अरिदमन को बचाने के लिए डीएलए ने लगा दी पूरी ताकत

आगरा उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी में संभावित मंत्री राजा अरिदमन सिंह को एक मामले में बचाने के लिए आगरा से प्रकाशित अमर उजाला के पूर्व प्रधान संपादक अशोक अग्रवाल के छोटे भाई और डीएलए के कांसेप्ट एडिटर अजय अग्रवाल ने अपने अखबार के माध्यम से पूरा दम लगा दिया है, जिसमें उन्होंने पहले दिन राजा की बेगुनाही की खबर आगरा संस्करण के १० मार्च के अंक में पेज नम्बर तीन पर ''अंतिम तहरीर में लिखा गया अरिदमन का नाम'' शीर्षक से  छापी हैं तो वही दूसरी ओर यही खबर ११ मार्च के अलीगढ संस्करण में पेज नम्बर नम्बर 7 पर हुबहू प्रकाशित की गई है.

आगरा उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी में संभावित मंत्री राजा अरिदमन सिंह को एक मामले में बचाने के लिए आगरा से प्रकाशित अमर उजाला के पूर्व प्रधान संपादक अशोक अग्रवाल के छोटे भाई और डीएलए के कांसेप्ट एडिटर अजय अग्रवाल ने अपने अखबार के माध्यम से पूरा दम लगा दिया है, जिसमें उन्होंने पहले दिन राजा की बेगुनाही की खबर आगरा संस्करण के १० मार्च के अंक में पेज नम्बर तीन पर ''अंतिम तहरीर में लिखा गया अरिदमन का नाम'' शीर्षक से  छापी हैं तो वही दूसरी ओर यही खबर ११ मार्च के अलीगढ संस्करण में पेज नम्बर नम्बर 7 पर हुबहू प्रकाशित की गई है.

इसके साथ-साथ ११ मार्च को ही एटा संस्‍करण में यही खबर पेज नम्बर 9 पर हुबहू प्रकाशित की गयी हैं. खबर कहीं रह न जाए इसलिए राजा की बेगुनाही साबित करने वाली इसी खबर को मथुरा संस्करण पर पेज नम्बर 7 पर प्रकाशित किया गया है. इटावा संस्करण में भी यही खबर पेज नम्बर 7 पर लगा दी गई है, जो सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का गृह क्षेत्र है. बताया जा रहा है कि जैसे ही डीएलए को आभास हुआ था कि सत्ता परिवर्तन होगा और सपा की सरकार बन सकती है तो इसके बाद से ही डीएलए ने राजा अरिदमन सिंह के लिए अपनी ताकत लगा दी.

इस योजना के तहत डीएलए के कांसेप्‍ट एडिटर अजय अग्रवाल भदावर हाउस यानी राजा के आवास पर जाया करते थे. खबर है कि विशेष संवाददाता को भी खास तौर से आगाह किया गया था कि राजा के विरोध में एक भी खबर नहीं लगनी चाहिए, ताकि राजा नाराज न होने पाएं. क्‍योंकि डीएलए प्रबंधन को आभास हो गया था कि सरकार आते ही राजा को लाल बत्‍ती मिलनी तय है. इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि अगर यह खबर इतनी बड़ी थी तो इसे प्रथम पेज पर क्‍यों नहीं प्रकाशित किया गया और फिर 10 मार्च के दूसरे दिन यानी 11 मार्च को सभी संस्‍करणों जैसे एटा, मथुरा, अलीगढ़, इटावा में क्‍यों छापा गया.

इस खबर के दूसरे दिन सभी संस्‍करणों में छापे जाने के पीछे सबसे बड़ी बात यह थी कि कैसे भी राजा की बेगुनाही प्रकाशित कर दी जाये, जिससे राजा को लाल बत्ती मिलने में कोई दिक्कत नहीं आये. अगर यह खबर किसी जिले की होती तो भी चल सकती थी, लेकिन एक जिले की छोटी सी तहसील की छोटी सी खबर सभी संस्करण में प्रकाशित करना अपने आप में सवाल खड़ा करता है. सभी संस्करणों में प्रकाशित खबर की प्रति आपको मेल के साथ संलगन करके भेज रहा हूं. वैसे आप अधिक जानकारी के लिए डीएलए मीडिया की वेबसाइट से भी ले सकते हैं.

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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