Kanwal Bharti : अगर राहुल गाँधी जनता को यह दिखाना चाहते हैं कि वह राजनैतिक क्रान्ति लाना चाहते हैं, तो वह गलतफहमी में हैं. अध्यादेश बकवास है, उसे फाड़ कर रद्दी की टोकरी में डाल दो, यह कहने से क्रान्ति नहीं होती है. यह ड्रामा है, और जनता इसे अच्छी तरह जानती है. क्या यह संभव है कि सरकार कोई अध्यादेश लाये और सोनिया-राहुल को उसकी खबर तक न हो? पूरा देश जान रहा था कि सरकार दाग़ी नेताओं को बचाने के लिए बिल ला रही है, उसे राहुल न जानते हों, कौन यकीन करेगा?
अगर राहुल उसके पक्ष में नहीं थे, तो उस बिल को उन्होंने बनने ही क्यों दिया? अब बिल का विरोध करके प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को अपमानित करने के पीछे की सियासत क्रांतिकारी नहीं कही जा सकती. असल में यह बिल पास ही नहीं होना चाहिए था. क्यों पास हुआ? वहां तो राहुल चुप रहे, अब भाजपा का विरोध देख कर क्रांतिकारी भूमिका में आ गये. सवाल यह है कि कांग्रेस ने दागी मंत्रियों के हक में यह बिल बनाया ही क्यों?
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Atul Agrawaal : बकवास अध्यादेश को फाड़ कर फेंक देने वाले राहुल गांधी के बयान ने सिर्फ प्रधानमंत्री की ही फजीहत नहीं कराई, बल्कि 21 सितंबर को इस ऑर्डिनेंस को पास करने वाली कोर ग्रुप की मीटिंग की अध्यक्षता करने वाली अपनी मां सोनिया गांधी को भी मूर्ख साबित कर दिया है…
जाने-माने दलित चिंतक कंवल भारती और पत्रकार / एंकर अतुल अग्रवाल के फेसबुक वॉल से.