मुंबई : आजादी के बाद देश में महिलाओं के अधिकारों और उनकी असमान सामाजिक स्थिति को उजागर करने वाली प्रमुख पत्रकार सरोज मित्तल का कल तीसरे पहर साढे चार बजे मुंबई के बांद्रा स्थित आवास पर निधन हो गया। उनकी उम्र 73 साल थी। वे साठ के दशक में देश में उभरी महिला पत्रकारों की पहली पीढ़ी में शुमार थीं। उन्होंने महज 20 साल की उम्र में ही देश में महिलाओं की प्रतिनिधि पत्रिकाओं फेमिना और ईव्ज वीकली में महिलाओं के मुद्दों पर लिखना शुरू कर दिया था।
उसके बाद साल 1962 में वे बंबई से प्रकाशित प्रमुख हिंदी अखबार नवभारत टाइम्स में महिलाओं के पन्ने की प्रभारी बन गईं। श्रीमती मित्तल लगभग 50 साल पत्रकारिता में सक्रिय रहीं। उन्होंने फेमिना से लेकर मनोरमा, साप्ताहिक हिंदुस्तान, धर्मयुग, कादंबिनी, सरिता, मुक्ता, गृहशोभा, मेरी सहेली आदि में निरंतर यात्रा वृत्तांत, महिलाओं-युवाओें और अन्य सामयिक मुद्दों पर लेखन किया। अलबत्ता पिछले दो साल से अल्झीमर रोग से ग्रस्त हो जाने के कारण उनकी कलम विराम पा गई थी। श्रीमती मित्तल के परिवार में उनके पति और वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र कुमार मित्तल और एक बेटा एवं बेटी तथा नाती-पोते हैं।