Mansi Manish आई मिस यू के मैसेज के लिए एक संपादक बहुत कुख्यात रहा है, वो नई आई महिला सहकर्मियों को दूसरे ही दिन यह मैसेज भेज देता था… ऐसे बौद्धिक भेड़िए अपना पूरा ग्यान तरुण तेजपाल के महिमामंडन में लगा देंगे पर लड़कियों को इन सपोलों से डरने का नहीं, उनके पास छिछले तर्क हैं, भारी भरकम शब्द हैं और तुम्हारे पास इकलौता सच जो सब पर भारी पड़ेगा… आसारामो, जजों, समाजसेवियों और तमाम तरुण तेजपालों की लुटिया डूबने का वक़्त आ गया है..
Vineet Kumar : पैकेजिंग, रिपोर्टिंग,एंकरिंग, स्क्रिप्ट राइटिंग कर लेने के बाद भी चैनल जब इंटरव्यू दे रही महिला मीडियाकर्मी से लगातार पूछता रहे- आप और क्या कर सकती हैं, आप और क्या कर सकती हैं तो इसका क्या अर्थ निकाला जाए ?
Nadim S. Akhter : यहां सब कुछ माहौल देख के होता है. दुनिया का दस्तूर है ये. कल तक तहलका मामले में जो 'बड़े लोग' चुप्पी ताने बैठे थे, वे आज पानी पी-पीकर तरुण तेजपाल को कोस रहे हैं. वो इसलिए कि तेजपाल के खिलाफ सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया, दोनों में कल से आज तक माहौल बन चुका है. सो अब वे SAFE हैं. नैतिकता की बात करके बहती गंगा हाथ अब धोया जा सकता है. लेकिन कल तक ये सब लोग खामोश थे. अगर बोला भी तो घुमा-फिराकर बात की. वैसे मीडिया के सीनियर पत्रकारों में वाकई में बहुत भाईचारा है. दूसरे करेंगे तो कोहराम मचा देंगे. लेख से लेकर ब्लॉग सब लिख डालेंगे. और जब बात अपने किसी 'भाई' की हो तो चुप रहना ही सेफ है भाई साहब. अब जब तरुण तेजपाल के खिलाफ एक सुर में आम राय बन गई है तो बरसाती मेंढक बिल से निकलकर टर्राने लगे हैं. अभी आपको कई लेख, ब्लॉग और फेसबुक-टि्वटर स्टेटस पढ़ने-सुनने को मिल जाएंगे. वैसे चोर-चोर मौसेरे भाई सुना था. ये पत्रकार-पत्रकार कौन से वाले भाई होते हैं??? चचेरे-मौसरे-खलेरे-फुफेरे..कौन से वाले…???!!!!
Jaya Nigam : तहलका कांड के बाद पत्रकारिता की एक और दीवार ढह गयी, तरुण तेजपाल ने क्या किया और उन्हे कैसे सजा दी जाय ये मुद्दा इससे बढ़ कर है। पीड़िता ने अपने मेल में एक कमेटी बनाने का जिक्र किया है जो पूरे मामले की जांच कर सके। दरअसल इस तरह की कमेटी जहां महिलायें यौन अपराधों के खिलाफ अपनी शिकायत बिना किसी भय और संकोच के दर्ज करा सकें उसकी हर मीडिया ऑफिस में जरूरत है। यौन अपराधों के बहाने हर बार दोषियों की लानत-मलानत करने तक ही हर मामले को खत्म कर दिया जाय उससे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि तमाम मीडिया संगठन अपने यहां काम कर रही महिला पत्रकारों को काम करने के लिये सुरक्षित माहौल कम से कम ऑफिस में ही सही उपलब्ध करायें न कि मजे लेकर चाय़ सुड़कतें रहें या न्यूजरूम में चर्चा करा कर अपने को बड़ा पाक-साफ बताते रहें।
मानसी मिश्रा, विनीत कुमार, नदीम एस. अख्तर और जया निगम के फेसबुक वॉल से.