एक खबर को दैनिक जागरण ने बिजनेस पेज पर आल एडिशन छापने को अनिर्वाय कर दिया था. इसके लिए आदेश जारी किया गया. और वह खबर छपी भी. खबर वेज बोर्ड लागू किए जाने के खिलाफ मालिकों के बयान पर आधारित है. कल के अखबार में यह खबर छपी. मालिकों ने वेज बोर्ड लागू किए जाने के कैबिनेट के फैसले पर चिंता जाहिर करते हुए इसे चौथे स्तंभ पर संकट बताया है.
सोचिए, ये मालिक लोग कैसे होते हैं. जब अपने कर्मियों को पैसे देने की बात आई तो चौथे स्तंभ पर संकट के बादल छा गए और जब पेड न्यूज करने-कराने को होता है तो चौथे स्तंभर पर संकट के बादल नहीं मंडराते. इस दोगलई की कोई सीमा है. लीजिए, पढ़िए, दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर-
चौथे स्तंभ पर संकट के बादल : आईएनएस
जेएनएन, नई दिल्ली : भारतीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं की प्रतिनिधि संस्था इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (आइएनएस) ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी पर गहरी चिंता जाहिर की है। इस बोर्ड ने अखबारों और समाचार एजेंसियों के पत्रकार व गैर-पत्रकारीय कर्मचारियों के वेतनमानों में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है। आइएनएस के प्रेसीडेंट आशीष बग्गा के मुताबिक प्रस्तावित वृद्धि को सहना फिलहाल मीडिया उद्योग के बस के बाहर है। इससे देश भर में ज्यादातर छोटे और मध्यम आकार के समाचार पत्र बंद हो जाएंगे। बग्गा ने आगाह किया कि बड़े प्रकाशनों को भी प्रस्तावित वृद्धि को लागू करने में भारी दिक्कत पेश आएगी। उन्होंने खेद जताया कि सरकार ने आइएनएस के उस आग्रह को भी तवज्जो नहीं दी, जिसमें वेतन बोर्ड की इस त्रुटिपूर्ण और एक पक्षीय रिपोर्ट पर पुनर्विचार करने को कहा गया था। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर खतरा मंडरा रहा है। मीडिया की पहचान अब तक स्वामित्व में बहुलता के कारण रही है। सरकार के फैसले से मीडिया की ताकत कुछ गिने-चुने हाथों में चली जाएगी। छंटनी और बेरोजगारी का दौर शुरू हो जाएगा। मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के साथ वर्किंग जर्नलिस्ट एंड अदर न्यूज पेपर एंप्लॉइज एंड मिसलेनियस प्रोविजंस एक्ट, 1955 को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं। मंत्रिमंडल ने मंगलवार को वेतनबोर्ड की सिफारिशों को मंजूरी दी।