हिंदुस्तान अखबार में गजब खेल चल रहा है. जैसे कोई राष्ट्रीय अखबार न होकर किसी कस्बे का होली-दिवाली निकलने वाले टुंटपूंजिया अखबार हो. कभी प्रधान संपादक का पद और इसे ओढ़ने वाले का नाम गायब हो जाता है तो कभी वरिष्ठ स्थानीय संपादक को प्रमोट कर संपादक बनाकर नाम छाप दिया जाता है. फिर कभी प्रधान संपादक का नाम आने लगता है. आजकल फिर से हिंदुस्तान में प्रधान संपादक के रूप में शशि शेखर का नाम जाने लगा है. प्रताप सोमवंशी फिर से संपादक से वरिष्ठ स्थानीय संपादक के रूप में डिमोट कर दिए गए हैं.
यकीन न हो तो हिंदुस्तान, दिल्ली-एनसीआर की प्रिंट लाइन देखिए. कुछ रोज पहले शशि शेखर का नाम प्रिंट लाइन से गायब करके संपादक के रूप में प्रताप सोमवंशी का नाम जाने लगा था. तब कहा गया था कि ये तकनीकी कारणों से यानि मुकदमों से बचने के लिए किया गया है. पर अचानक क्या हुआ कि फिर से प्रधान संपादक का नाम जाने लगा. लोगों का कहना है कि अंदरखाने कुछ न कुछ उथल-पुथल चल रहा है, जिसकी बाहर किसी को खबर नहीं हो रही. इसी का नतीजा है प्रिंटलाइन में लगातार बदलाव होना.