Ambarish Rai : आज शहीदे आज़म भगत सिंह का जन्म दिन है.वे आज भी देश के नौजवानों के लिए बदलाव के संघर्ष में प्रेरणास्रोत एवं नायक बने हुए हैं. उपभोक्तावादी संस्कृति एवं बाज़ार की ताकतें तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें इस मुकाम से बेदखल नहीं कर सकीं हैं. इसलिए वे अब भगत सिंह के मायने ही बदल देना चाहती हैं.
यथास्थितवादी एवं सांप्रदायिक ताकतें, जिनका भगत सिंह ने आजीवन बिरोध किया, अब उनके नाम पर समारोह आयिजित करने में लग गयी हैं. और उनके विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही हैं. जबकि यह बात किसी से छुपी नहीं है की शहीद भगत सिंह और उनके साथी अंग्रेजों को बेदखल कर हिंदुस्तान में समाजवादी समाज की स्थापना करना चाहते थे. एक न्याय पूर्ण समाज, जो गैरबराबरी पर न खड़ा हो, की स्थापना के प्रयास में जुटे थे. और इसके लिए उन्होंने नौजवानों से गावों में जाने का आवाहन भी किया था.
साथ ही देश को संप्रभुता संपन्न रास्ट्र के रूप में मजबूत करना चाहते थे. भगत सिंह छुवाछूत की जिम्मेदार जातिप्रथा के धुर विरोधी थे. साम्राज्यवाद,सामन्ती व्यवस्था तथा साम्प्रदायिकता फ़ैलाने वाली शक्तियां हमेशा उनके हमलें के निशाने पर
लेखक अंबरीश राय सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के सीनियर लीडर रहे हैं. इन दिनों प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में कई किस्म के प्रयोगों में खुद को व्यस्त किए हुए हैं. उनका यह लिखा उनके एफबी वॉल से साभार लेकर भड़ास प्रकाशित किया गया है.