Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

सुख-दुख...

श्रवणजी, अब आपसे सीखने को और ज्‍यादा मिलेगा

श्रवण गर्ग जी से कभी मिलना नहीं हुआ, केवल उनका लिखा हुआ पढ़ता रहा हूँ. और आज जब उनके भास्कर परिवार से जाने का पता लगा तो निराशा हुई. नई दुनिया का सिमटना, भास्कर से श्रवण जी का जाना, किस ओर संकेत करते हैं और इन तथ्यों का विश्लेषण क्या दिशा दिखा रहा है? हरियाणा की राजनीति के गढ़ नरवाना में जब भास्कर में करियर शुरू करने का मौका मिला तो लगता था कि ब्यूरो चीफ अमरजीत मधोक जी ही सख्त है, जागरण वाले प्रेस रिलीज पर भी बायलाइन देते हैं तो भास्कर में उस स्टोरी पर भी नाम नहीं आता जिस की सारा जिला तारीफ करता था, लेकिन भास्कर ने जो सिखाया, कहीं और, शायद ही सीख सकता था.

श्रवण गर्ग जी से कभी मिलना नहीं हुआ, केवल उनका लिखा हुआ पढ़ता रहा हूँ. और आज जब उनके भास्कर परिवार से जाने का पता लगा तो निराशा हुई. नई दुनिया का सिमटना, भास्कर से श्रवण जी का जाना, किस ओर संकेत करते हैं और इन तथ्यों का विश्लेषण क्या दिशा दिखा रहा है? हरियाणा की राजनीति के गढ़ नरवाना में जब भास्कर में करियर शुरू करने का मौका मिला तो लगता था कि ब्यूरो चीफ अमरजीत मधोक जी ही सख्त है, जागरण वाले प्रेस रिलीज पर भी बायलाइन देते हैं तो भास्कर में उस स्टोरी पर भी नाम नहीं आता जिस की सारा जिला तारीफ करता था, लेकिन भास्कर ने जो सिखाया, कहीं और, शायद ही सीख सकता था.

जो प्रतिष्ठा और रुतबा भास्कर का और भास्कर से जुड़े होने वाले हर व्यक्ति का था, जो सर्कुलेशन भास्कर का था, भास्कर लॉन्च होने के बाद कभी किसी का नहीं हुआ. दिल्ली आकर समझ में आया कि इस सब का आधार समूह संपादक नाम का व्यक्ति, उसकी सोच, अनुभव, तौर तरीके, व्यक्तित्व होता है, जो कैसे उस समूह से जुड़े एक-एक व्यक्ति के काम, व्यक्तित्व को निखारता है. भास्कर जब हरियाणा में लॉन्च हुआ तो दर-दर जाकर बुकिंग करने का काम किया था, 70 रुपए रोज मिलते थे पार्ट टाईम के, जब पत्रकार बना तो सवा दो रुपए कॉलम, सेंटीमीटर और 20 रुपए फोटो की दर से दस हजार का चेक भी लिया.

एक-एक खबर, हेडिंग, हर चीज के तौर-तरीके चाहे वो अमरजीत मधोक जी, जितेंद्र सहारण ने सिखाया, अजय पुरुषोतम जी ने या हर महीने होने वाली बैठक में श्री अशोक पांडे जी ने सिखाया, कहीं न कहीं उस सब में थोड़ा-बहुत श्रवण गर्ग जी का प्रभाव रहा. बेशक, सारी उम्र श्रवण जी भास्कर के साथ रहते तो यह असर निरंतर बना रहता, यह असर ही नहीं श्रवण जी से जुड़ा एक-एक तत्व कायम रखना भास्कर के लिए चुनौती जरूर है. श्रवण जी, बेशक आपके खर्चे ज्यादा न हो, आप संतुष्ट हों लेकि न हमें प्रतीक्षा रहेगी कि आप अब क्या और कैसे करते हैं, अब आप से सीखने को और ज्यादा मिलेगा. लेकिन दुख इस बात का है हम हिंदी वाले कब ब्रांडिंग और ब्रांड एंबसेडर का महत्व समझेंगे, यशवंत जी समझाते रहिएगा, कभी न कभी जब बाजार की जरूरत के रूप में समझ आएगा, शायद तब समझ पाएं.

लेखक धीरज तागरा ऑन लाइन हिंदी अपैरल में डिप्‍टी एडिटर के पद पर कार्यरत हैं. इनसे संपर्क 09873335506 के जरिए किया जा सकता है.


इन खबरों को भी पढ़ सकते हैं – समूह संपादक श्रवण गर्ग का दैनिक भास्कर समूह से इस्तीफा

श्रवण गर्ग का जाना दैनिक भास्कर को महंगा पड़ेगा

 

 
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

सुप्रीम कोर्ट ने वेबसाइटों और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को 36 घंटे के भीतर हटाने के मामले में केंद्र की ओर से बनाए...

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

Advertisement