Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

आवाजाही, कानाफूसी...

संजीव से नहीं धुलेंगे विभूति के दामन के दाग

: कानाफूसी : वर्धा स्थिति महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में राइटर-इन-रेजीडेंस के रूप में प्रसिद्ध कथाकार संजीव को जोड़ कर कुलपति विभूति नारायण राय ने निश्चय ही सराहनीय कार्य किया है। लेकिन विभूति के इस पुण्यकर्म से उनके दामन में लगे दाग नहीं घुल पाएंगे। जो लोग संजीव के राइटर इन रेजीडेंस बनने से हर्ष जता रहे हैं, वे इसके पीछे की हकीकत से वाकिफ नहीं है। यह विभूति के छद्म चरित्र का एक अंश भर है।

: कानाफूसी : वर्धा स्थिति महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में राइटर-इन-रेजीडेंस के रूप में प्रसिद्ध कथाकार संजीव को जोड़ कर कुलपति विभूति नारायण राय ने निश्चय ही सराहनीय कार्य किया है। लेकिन विभूति के इस पुण्यकर्म से उनके दामन में लगे दाग नहीं घुल पाएंगे। जो लोग संजीव के राइटर इन रेजीडेंस बनने से हर्ष जता रहे हैं, वे इसके पीछे की हकीकत से वाकिफ नहीं है। यह विभूति के छद्म चरित्र का एक अंश भर है।

जिस दिन संजीव की नियुक्ति हुई, उसके ठीक दो दिन पहले विश्वविद्यालय ने हाल में हुए विभिन्न पदों के साक्षात्कार के परिणाम घोषित किये। इनमें से कई नाम तो ऐसे थे जो परिणाम आने से पहले ही तय हो चुके थे। इन नामों को लेकर विश्वविद्यालय में चर्चा भी थी। कुल नौ पदों के साक्षात्कार में कम से कम चार लोगों की नियुक्ति में कुलपति ने प्रतिभाओं को दरकिनार करके जाने-अनजाने में बहुत बड़ी आफत मोल ली है। भले ही इसका आभास विभूति को नहीं हो, लेकिन उनके इस कदम ने कम से कम एक दर्जन बागी को जन्म दे दिया है। ये ऐसे ही बागी हैं जो जिस तरह पीपी नाम का एक चरित्र उनके उपन्यास किस्सा लोकतंत्र में जन्म लेकर व्यवस्था के लिए नासूर बन जाता है।

पिछली कुछ नियुक्तियों और विवादों से विभूति के छवि को गहरा धक्का लगा था। लिहाजा, विभूति ने अपनी छवि सुधारने के लिए चार फर्जीवाड़े के साथ एक अच्छा काम करने के एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है। इसी के सहारे वे या तो अपना कुलपति का एक कार्यकाल और लेने के फिराक में हैं या फिर किसी राज्य के राज्यपाल बनने के। लेकिन विवाद ज्यादा होने के कारण विभूति को यह बात समझ में आ चुकी है कि राज्यपाल बनने के राह आसान नहीं लगती है। इसलिए विभूति कुलपति की एक और पारी खेलने की तैयारी में हैं। इसलिए अपनी छवि सुधारने के क्रम में संजीव को राइटर इन रेजीडेंस के रूप में लाए। लेकिन अब दाल नहीं गलने वाली है। (हाल में हुई विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में किस पर विभूति ने कैसे धांधली किया, इसकी कथा अलग क्रम में )

पीपी

(परिवर्तित नाम)

एक कर्मचारी

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय

वर्धा

यह पत्र भड़ास4मीडिया को [email protected] मेल आईडी से प्राप्त हुआ है. चूंकि इस पत्र में उल्लखित बातों की सत्यता संदिग्ध है इसलिए इसे कानाफूसी कैटगरी में प्रकाशित किया गया है. अगर किसी को इसमें कमी बेसी नजर आए तो वह नीचे दिए गए कमेंट बाक्स या फिर [email protected] का सहारा ले सकता है. कानाफूसी कैटगरी की बातें चर्चाओं पर आधारित होती हैं, जिन पर भरोसा करने से पहले अपने स्तर पर तथ्यों की पड़ताल जरूर कर लें.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

सुप्रीम कोर्ट ने वेबसाइटों और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को 36 घंटे के भीतर हटाने के मामले में केंद्र की ओर से बनाए...

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

Advertisement