Sheetal P Singh : समर्थ और ताक़तवर एक तरफ़ जमा हो गये हैं। असमर्थ और कमज़ोर इधर उधर भटक रहे हैं, उनके अगुआ बँटे हुए हैं या ये कहना सही होगा कि बाँटे जा चुके हैं। TV अख़बार रेडियो वीडियो सब खिलखिला रहे हैं। वे जीत रहे हैं। कहीं छुपिये वे आपको ढूँढ लेते हैं और हँसते खिलखिलाते अपनी जीत का V चिन्ह आपको दिखा देते हैं। ऐसा ख़ुशनुमा माहौल लगातार हफ़्तों महीनों सालों तक पसरा हुआ है, बस हम ख़ुश नहीं हैं। बीमार हैं हम, हमारे तमाम दोस्त भी। इस बसन्त के मौसम में भी हमारे पास बिसूरने का सामान भरा पड़ा है।
हम मुकेश अम्बानी को गैस के दाम बढ़ाने पर बिसूरते हैं, अडानी को ज़मीन फ़्री मिल गई तो बिसूरते हैं, वाडरा साहब के सुख से दुखी हैं और किसान सलफास खा लें तो दुखी हैं। अरे भई emporio हो के आइये, दुनिया का हर ब्रांड आपकी अगवानी में है, पीटर इंग्लैंड के जूते पैर में डाल तो लें लगेगा कुछ पहना ही नहीं। गड्डी बदलिये, पुरानी चीज़ें negativity लाती हैं। चाँदनी चौक में चाट खा के आइये। क़ुल्फ़ी फ़ालूदे पर कुछ कहिये। घर, हाँ नया घर नोएडा गुड़गाँव में ५९वीं मंज़िल पे बुक करिये zet lift वाले में दुबई को टक्कर! या बैंकाक/दुबई ही चक्कर मार आइये। ये सब करिये तो आप भी V वाली Q में शामिल हो जायेंगे वरना बिसूरते रहिये आपका क्या होने वाला है?
वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह के फेसबुक वॉल से.