यह राम गोपाल वर्मा की निर्देशित फिल्म की कहानी की तरह का मामला है। एक ताकतवर शख्स है। यह शख्स एक लड़की के पीछे पड़ता है। लड़की की मदद करता एक आईएएस अफसर है। ताकतवर शख्स का साथ देते मंत्री और खुफिया विभाग के जासूस हैं। इस पटकथा ने देश भर में भूचाल ला दिया है। देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठने का सपना देखने वाले शख्स की वह छवि चूर-चूर हो गयी है, जिसे सालों से बनाने की कोशिश की जा रही थी।
कोई सोच भी नहीं सकता था कि चुनावी दहलीज पर खड़े नरेन्द्र मोदी को कोई ‘इश्कजादा’ भी कह सकता है। मगर जो व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बनने की सोच रहा हो, जो एक राज्य का मुख्यमंत्री हो। वह अगर किसी लड़की को दिन में सत्रह-अट्ठारह बार फोन करे तो मामला संदेहास्पद हो जाता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी उन्हें पहले ही ‘साहेबजादा’ कह चुके हैं। गुजरात कांग्रेस के नेता अर्जुन मोडवाडिया ने कहा कि वास्तव में मोदी ‘इश्कजादे’ हैं। यह शब्द मोदी के सपनों पर भारी आघात पहुंचाने वाला है।
मिली जानकारी के मुताबिक प्राण लाल सोनी नामक शख्स गुजरात के मुख्यमंत्री से मिलते हैं। साथ में उनकी होनहार युवा आर्किटेक्टर पुत्री माधुरी (कोबरा पोस्ट द्वारा दिया गया काल्पनिक नाम) होती है। सोनी मुख्यमंत्री से उसे काम दिलवाने का अनुरोध करते हैं। मुख्यमंत्री उसे एक आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा के पास भेजते हैं। आमतौर पर जब मुख्यमंत्री किसी की सिफारिश करते हैं तो आईएएस अफसर उसे उपकृत करने के लिए सबकुछ करने को तैयार रहते हैं। लिहाजा उसे साज-सज्जा करने का बड़ा आर्डर मिल जाता है।
काम करने के दौरान मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस युवती की ओर कुछ ज्यादा ही आकर्षित होते हैं। वह लगातार न सिर्फ उस लड़की को प्रोत्साहित करते हैं बल्कि उसे अपना पर्सनल नंबर भी देते हैं। यही नहीं नरेन्द्र मोदी दिन में उससे सत्रह से अट्ठारह बार बातचीत करते हैं। उधर इस कहानी में दूसरा ही ट्विस्ट आ चुका होता है। काम करने के दौरान यह युवती आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा की गहरी दोस्त बन जाती है। अगर सपाट शब्दों में कहे तो यह प्रेम का तीसरा कोण बन जाता है।
आम तौर पर जैसा सामान्य प्रेम कथाओं में होता है वैसा ही हुआ। युवती ने आईएएस प्रदीप शर्मा को बता दिया कि मुख्यमंत्री उसे अपने पर्सनल नंबर से इतनी बार फोन करते हैं। प्रदीप शर्मा को यकीन ही नहीं हुआ कि मोदी जैसी सख्त छवि का शख्स इस तरह की हरकत कर सकता है। सच्चाई जानने के लिए उन्होंने नरेन्द्र मोदी के उस पर्सनल नंबर पर फोन कर दिया जो नंबर बहुत कम लोगों को मालूम था। मोदी की आवाज सुनते ही प्रदीप शर्मा ने फोन काट दिया। मगर तब तक उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि यह मिस्ड कॉल उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा नासूर बनने जा रही है।
एक मिस्ड कॉल ने मुख्यमंत्री को सतर्क कर दिया। वह जानने को बेचौन हो उठे कि आखिर यह नंबर किसको मिल गया। तत्काल मिस्ड कॉल करने वाले शख्स की जांच कराई गयी। जब पता चला कि यह कॉल आईएएस प्रदीप शर्मा ने की है तो खलबली मच गयी। तुरंत प्रदीप शर्मा की कॉल डिटेल भी निकलवाई गयी। इस कॉल डिटेल से मोदी के सामने वह सब आ गया जो वह अभी नहीं चाहते थे। जिस युवती को मोदी दर्जन भर फोन करते थे उसने आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा को इससे ज्यादा फोन किये थे।
यह सच सामने आने के बाद वही हुआ जो हिंदी फिल्म का नायक करता है। अपने सबसे खास अमित शाह को बुलाकर प्रदीप शर्मा को सबक सिखाने को कहा। अमित शाह ने इसकी कमान आईपीएस जीएल सिंघल को सौंपी। जिन्होंने गुजरात पुलिस के अलावा खुफिया विभाग के तमाम अफसरों को इस लड़की के पीछे लगा दिया। अमित शाह भला यह कैसे बर्दाश्त कर सकते थे कि उनके साहेब का दिल दुखी करके लड़की और उसके आईएएस दोस्त खुश रह सकें। लिहाजा उन्होंने सिंघल से कहा कि साहेब का हुक्म है कि प्रदीप शर्मा का हाल बंजारा से भी बुरा हो और उसे जेल की हवा खानी पड़े। इसके बाद दर्जनों पुलिस अफसर यह पड़ताल करने में जुट गये कि यह लड़की कहां जाती है किससे मिलती है, किससे बात करती है। तेज तर्रार आईपीएस सिंघल मोदी और उनके गुर्गे अमित शाह की हकीकत जानते थे। लिहाजा उन्होंने अमित शाह के फोन रिकार्ड करना शुरू कर दिये और जब फर्जी मुठभेड़ में उनके गिरफ्तार होने पर मोदी ने उनकी मदद नहीं की तो यह टेप सीबीआई को सौंप दिये। जहां से यह टेप कोबरा पोस्ट को मिल गये, और देश भर में हंगामा मच गया।
भाजपा के अंदर चल रही उठा पटक भी तेज हो गयी। मोदी से चिढ़ने वाला गुट भी सक्रिय हो गया। यही नहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने यह कहकर कि ‘पीएम उम्मीदवार पद से मोदी को हटाने का सवाल ही नहीं’ और चर्चाओं को बल दे दिया। लोग हैरान थे कि अभी तक तो मोदी को इस उम्मीदवारी से हटाने की मांग भी किसी ने नहीं की, फिर राजनाथ सिंह ने यह बयान क्यों दे दिया। मोदी कैंप के पास इस बात के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था कि लड़की के पिता से ही बयान दिलवाया जाये कि उन्होंने ही मोदी से अपनी पुत्री की सुरक्षा की मांग की थी।
मगर यह सबको संतुष्ट करने वाली बात नहीं थी। लोगों का कहना था कि मोदी को बताना चाहिए कि जब लड़की के पिता ने अपनी बेटी के लिए सुरक्षा मांगी तो उसे सुरक्षा देने की जगह उसकी खुफिया जांच क्यों शुरू करवा दी गयी। यह कौन सी सुरक्षा थी। जिसके लिए खुद नरेन्द्र मोदी इस युवती को दर्जनों फोन कर रहे थे। मोदी और भाजपा के पास बैकफुट पर आने के अलावा कोई और चारा भी नहीं था। लड़की के पिता का पत्र मीडिया को जारी करने पर कोबरा पोस्ट ने मोदी की और खिंचाई करते हुए कहा कि भाजपा ने तो उस लड़की की पहचान उजागर कर दी।
लड़की के पिता इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी मोदी पर क्यों मेहरबान थे इसका खुलासा पत्रकार एन सुंदरेश सुब्रमण्यम ने कर दिया। उनके मुताबिक बंगलुरू की स्मार्ट ग्रिड कंपनी इकोलीबियन इनर्जी को पहला ठेका वर्ष 2010 में मिला। इस ठेके में सचिवालय में स्मार्ट ग्रिड परियोजना का काम उसे सौंपा गया। सचिवालय प्रशासन विभाग के मुखिया मोदी खुद हैं। इस कंपनी के 96 प्रतिशत शेयर चिंतन पी सोनी और हरित पी सोनी के पास हैं। जो जासूसी का शिकार युवती के भाई हैं। वर्ष 2013 तक इस कंपनी को कई करोड़ का राजस्व प्राप्त हो चुका था। गुजरात विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि मोदी को बताना चाहिए कि आखिर उन्होंने इस महिला के परिवार को किस तरह फायदा पहुंचाया। जाहिर है ऐसे चुभते हुए सवालों का कोई जवाब मोदी के पास नहीं है।
इस मामले के तूल पकड़ते ही निलंबित चल रहे आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा ने भी मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस पूरे मामले को लेकर उनकी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अब उन्होंने कोबरा पोस्ट के टेप को लेकर फिर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है। प्रदीप शर्मा ने अपनी याचिका में उन तमाम बिन्दुओं का जिक्र किया है जो मोदी के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस युवती से मोदी के रिश्तों की बात पता होने पर ही गुजरात सरकार ने उन्हें झूठे मामलों में फंसा दिया। मोदी चाहते थे कि सार्वजनिक स्थानों पर यह युवती इस बात का संदेश दे की उसके और मोदी के बीच पिता-पुत्री जैसा रिश्ता है। जाहिर है सुप्रीम कोर्ट में दायर यह याचिका मोदी के लिए भारी परेशानी का सबब बन सकती है।
उधर सुप्रीम कोर्ट में मोदी की पत्नी को लेकर विवाद भी आ गया है। चीफ जस्टिस वाली बेंच मोदी के मामले में इस बात पर फैसला देगी कि विधानसभा चुनाव के समय में दिए गये शपथ पत्र में पत्नी की डिटेल न दिये जाने को शपथ पत्र सही माना जाये या नहीं। कोलकाता के सुनील सरावगी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कहा है कि 2012 विधानसभा चुनाव के दौरान हलफनामे में मोदी ने अपनी पत्नी जशोदा बेन की डिटेल नहीं दी थी। सूत्रों का कहना है कि मोदी ने 1968 में जशोदा बेन से शादी की थी जो गुजरात के एक छोटे से गांव में तन्हा जीवन जी रही हैं।
नरेन्द्र मोदी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि चुनाव से पहले उन्हें इतनी भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। इस बातचीत में अमित शाह के ‘साहेब’ का जुमला अब मजाक का पर्याय बन गया है। जाहिर है ‘साहेब हसीना और जासूस’ पटकथा में अभी मोदी को और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
लेखक संजय शर्मा लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और वीकएंड टाइम्स हिंदी वीकली के संपादक हैं. यह स्टोरी वीकएंड टाइम्स में प्रकाशित हो चुकी है.
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