यशवंत जी, आप पत्रकारिता में निष्पक्ष नीति रखते हैं। पत्रकारिता में आपके हिम्मत को बयां करती स्टोरीज मैं पढ़ता रहता हूं, इसलिए एक लेख भेज रहा हूं जो हाल में विवादित अमरिंदर सिंह द्वारा जगदीश टाइटलर पर दिए बयान के यथार्थ को दर्शाता है। यशवंत जी, मुझे ये कहने और मेरे विश्वस्त सूत्रों से जानकारी के मुताबिक सच बताने में गुरेज नहीं कि अमरिंदर सिंह का जगदीश टाइटलर पर बयान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर था। ज्यादा लंबी बात नहीं करनी, आप इंडिया टुडे की उस रिपोर्ट को पढ़े होंगे, जिसमें सोनिया गांधी ने खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह को फोन किया था। याद दिला देता हूं। इस खबर को ‘आज तक’ ने भी चलाया था।
21 मार्च की शाम 5 बजे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक फोन किया था। उन्होंने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री से कहा, ''अमरिंदर, मैं चाहती हूं कि आप अमृतसर से चुनाव लड़ें. मुझे लगता है कि इस काम के लिए आप सबसे सही व्यक्ति हैं। आपको कुछ भी चिंता करने की जरूरत नहीं। मैं हर तरह से आपकी मदद करूंगी.” सड़क के रास्ते दिल्ली से चंडीगढ़ जा रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नेशनल हाइवे-1 पर अपनी गाड़ी किनारे खड़ी की और तुरंत हां कर दी। लेकिन वे अचानक किए गए इस फोन से काफी हैरान थे। सोनिया गांधी का इस तरह अनुरोध करना असामान्य बात थी, खासकर तब, जब उन्होंने तीन हफ्ते पहले उनसे मुलाकात करके लोकसभा चुनाव लडऩे की अनिच्छा जता दी थी और सोनिया ने अपनी सहमति भी दे दी थी।
दो दिन पहले 19 मार्च को सोनिया के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल ने जब अमरिंदर से इस संभावना पर चर्चा की थी तो उन्होंने चुनाव लडऩे से मना कर दिया था, क्योंकि उन्हें सोनिया की मंजूरी मिल चुकी थी। उन्होंने कुछ टीवी इंटरव्यू में भी अपनी अनिच्छा जता दी थी। इस फोन के करीब घंटे भर बाद राहुल ने भी उन्हें मोबाइल पर संदेश भेजा: ''धन्यवाद, आप खड़े होंगे और लड़ेंगे।” खुद अमरिंदर सिंह की ओर से इस बात की पुष्टि इंडिया टुडे के रिपोर्टर को की गई थी कि सोनिया वह सब कुछ कर रही हैं, जो पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उनसे उम्मीद की जाती है।
अब आइए अमरिंदर सिंह के उस बयान पर जो उन्होंने जगदीश टाइटलर पर दिया था। असल में वो बयान भी सोनिया गांधी के इशारे पर था। कांग्रेस अध्यक्ष के इशारे पर वो प्लांड-वे में था। सोनिया गांधी राजनीतिक पारे को समझना चाह रही थीं। जगदीश टाइटलर के प्रति लोगों खासकर सिखों की भावना को टटोलने के लिए इस बार उन्होंने अमरिंदर सिंह को चुना। वो देखना चाह रही थीं, एक सिख अगर खुद हल्की आहट से जगदीश टाइटलर को सेफ करना चाहे तो क्या हो सकता है। कांग्रेस का दांव फिर उल्टा पड़ा। अमरिंदर सिंह खुद सिख समुदाय से हैं, सिखों को इससे फर्क नहीं, लेकिन टाइटलर जैसे विवादित नेता का बचाव वो हरगिस बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।
यशवंत जी, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी का फॉर्मूला इतनी दूर कौड़ी खेलने का था, जिससे टाइटलर को फिर से मैदान में लाया जा सके। अगर एक सिख के इस बयान पर सिखों का इतना प्रदर्शन नजर नहीं आता तो कांग्रेस आलाकमान का अगला कदम होता कि टाइटलर को सामने लाया जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
सबसे पहले तो एक सिख होकर कैसे कैप्टन साहब ने ऐसी बातें स्वीकार की, मुझे इस पर ताज्जुब होता है। मेरे एक विश्वस्त सूत्र जो खुद कांग्रेस के एक बड़े नेता हैं, ने मुझे पूरी असलियत बताई। मैंने जब कहा कि ऐसा भी तो हो सकता है कि यह अमरिंदर की निजी राय हो तो उनका जवाब भी बड़ा चौंकाने वाला था। उन्होंने इंडिया टुडे के उस रिपोर्ट को सामने रखा और कहा कि भाई साहब, जो आदमी पंजाब का मुख्यमंत्री रहा हो। जिसे खुद सोनिया गांधी ने फोन कर चुनाव मैदान में उतरने के लिए आमंत्रण दिया हो और कहा कि मैं आपके लिए हर कुछ करने को तैयार हूं, आप बस मेरे इशारे पर चलिए। जिसे खुद राहुल गांधी मैसेज कर थैंक्यू कहते हों, वो अमरिंदर सिंह ने ऐसे ही इतने बड़े मुद्दे पर ऐसे ही नहीं कह दिया, जबकि वो जानता है कि उसके खिलाफ अरुण जेटली जैसे लोग हैं जो टक्कर दे सकते हैं। गुरु पेंच को समझिए।
Om Prakash
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