हरियाणा सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत कक्षा पाँच के हिंदी के पाठ्यक्रम में 72 वर्षीय डॉ. नंदलाल मेहता वागीश की एक रचना को शामिल किया। पर प्रकाशन से पहले न तो लेखक की स्वीकृति ली गई, न ही उनका नाम ही लेख के साथ प्रकाशित किया गया है। यह भी बताने की शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जरूरत नहीं समझी कि उन्होंने यह लेख किस पुस्तक से साभार लिया है। डॉ. वागीश अब तक 18 पुस्तक लिख चुके हैं। लेखक, समीक्षक एवं भाषाविद डॉ. वागीश संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व सीनियर फैलो भी रह चुके हैं।
उनके वैचारिक निबंध संग्रह 'समय, समाज और परिवेश' में पृष्ठ संख्या 55 पर 'हरियाणा के मेले एवं पर्व त्यौहार' शीर्षक से निबंध है। इस निबंध को ज्यों का त्यों शिक्षा विभाग हरियाणा ने सर्व शिक्षा विभाग द्वारा 2011 के लिए प्रकाशित पांचवीं कक्षा की 'हिंदी-5' में 'हरियाणा के मेले एवं पर्व त्यौहार' शीर्षक से पृष्ठ संख्या 56 पर प्रकाशित किया है। अर्बन एस्टेट गुडग़ांव सेक्टर चार के मकान संख्या 1218 'शब्दलोक' में रहने वाले डॉ. नंदलाल मेहता वागीश ने शिक्षा विभाग के ऊपर रचना के प्रकाशन की अनुमति नहीं लेने का आरोप लगाया है। सरकर द्वारा की गई कथित चोरी का साक्ष्य भी दिखाया। लेखकीय अस्मिता के प्रति बरती गई सरकार के इस उपेक्षा से डॉ वागीश दुखी हैं।
डॉ. वागीश का कहना है कि जब यह मामला उनको ज्ञात हुआ तो उन्होंने मौखिक रूप से इसकी शिकायत कुछ अधिकारियों के समक्ष की, लेकिन इस पूरे मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। डॉ मेहता ने मौलिक शिक्षा निदेशक डॉ. अभय सिंह यादव को इसी वर्ष 19 मार्च को पत्र लिख और त्रुटि दूर करने की मांग की। कोई कार्रवाई न होने पर 18 अगस्त को पुन: निदेशक एवं मुख्य सचिव हरियाणा को सभी साक्ष्य के साथ पत्र भेजा, लेकिन कारवाई सिफर।
मुकेश समस्तीपुरी की रिपोर्ट.