Shambhunath Shukla : एक थे मुंशी अजमेरी जी। जात के बुंदेली मुसलमान और कर्म से वैष्णव। झांसी के कस्बे चिरगांव में मैथिलीशरण गुप्त के पिता के गुमाश्ता थे। पर ब्रज, राजस्थानी तथा बुंदेली के बेहतरीन कवि। कई दफे मैथिलीशरण गुप्त और उनके छोटे भाई सियाराम शरण गुप्त की कविताएं उन्होंने सुधारीं। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और रामचंद्र शुक्ल उनकी कविताओं की तारीफ करते नहीं अघाते थे।
उनकी दिनचर्या और हिदू धर्म में उनकी रुचि देखकर कुछ हिंदू संगठनों ने उनसे कहा कि मुंशीजी आप जब कर्म से हिंदू हैं तो शुद्ध होकर हिंदू क्यों नहीं हो जाते? मुंशी जी बोले- क्यों मेरे अंदर अशुद्ध क्या है जो मुझे शुद्ध होना चाहिए? मुंशी जी जीवन भर मुसलमान रहे और जब मरे तो उनकी कब्र में सियाराम शरण गुप्त ने गंगाजल चढ़ाया और किसी भी मुसलमान ने एतराज नहीं किया।
हिंदू मुसलमान एक दूसरे से ऐसे बंधे हैं जैसे मांस और खून। लेकिन संघ और हिंदू संगठनों ने बीच में दरार खड़ी कर दी। मुसलमान को विदेशी बताने वाले यह शायद नहीं जानते होंगे कि गांव में औसत मुसलिम औरतें साड़ी पहनती हैं और मर्द धोती। मैने आजतक हिंदुत्व के तथाकथित मसीहा नरेंद्र मोदी को धोती पहने नहीं देखा, न अरुण जेटली को, न रुद्र प्रताप रूड़ी को, न यशवंत ङ्क्षसह व सिन्हा को पर मौलाना मुलायम ङ्क्षसह धोती ही पहनते हैं तो भैया हिंदू सभ्यता को कौन बचा रहा है मोदी या मुलायम?
वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला के फेसबुक वॉल से.