Krishan Bhanu : पांच दिनों से लगातार "चुनावी भ्रमण" पर हूँ… मेरे हिमाचल प्रदेश में केवल चार संसदीय सीटें हैं. इनमें से तीन अत्यंत प्रतिष्ठित हैं. एक, धूमल के कारण…दूसरी, वीरभद्र सिंह और तीसरी, शांता कुमार के कारण. इनमें से एक संसदीय सीट, हमीरपुर का तीन दिवसीय दौरा कर चुका हूँ.. दो दिन से मंडी में हूँ….. और "चुनावी भ्रमण" बिना रुके थमे जारी है….. हमीरपुर बेशक भाजपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार चुनावी हवाएं "मोदी" से प्रभावित होती नहीं दिख रहीं हैं…
झूठ बोलने में (खासकर खाने पीने के बाद) मुझे कष्ट होता है… एक मुलाकात में जब धूमल ने पूछा तो जो सच लगा, बता दिया…. अब खबर मिली है कि हमीरपुर में भाजपा ने कमर कस ली है और दिन रात एक करने का फैसला कर लिया है…स्थितियां सुधर भी सकती हैं…… मैं भाग्य को कर्म से शक्तिशाली नहीं मानता…..युद्ध और प्यार में सब जायज है—शाम दाम दण्ड भेद…
इधर मंडी में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेसियों को "सियासी लकवा" मारने लगा है… भाजपा के उम्मीदवार को कमजोर मानकर कई कांग्रेसी निठल्ले बैठ गए हैं….उप चुनाव में रानी प्रतिभा सिंह भारी भरकम मतों के अंतर से जीती थीं…अति आत्मविश्वास का एक कारण यही लग रहा है… यह चुनाव है और ऐसे वक्त, चार दिन का भूखा मतदाता भी सूखे पेड़ की मानिंद अकडू हो जाता है… प्रतिद्वंदी को कमज़ोर मत समझिये………इसलिए हे ! मंडी के "कुछ" कांग्रेसियों क्या आप भी हमीरपुर से सबक लेंगे…?
रही शांता जी की बात तो….. कांग्रेस के उम्मीदवार चंदर कुमार मेरे पुराने मित्र हैं….. शांता जी से ज्यादा वास्ता नहीं रहा… बावजूद, मैं शांता जी के लिए ईश्वर से प्रार्थना करूँगा (क्या पता भगवान खाने पीने वालों की सुनते भी हैं कि नहीं)….बहरहाल, ……वीरभद्र सिंह और शांता कुमार हमारी सियासी धरोहर हैं……………!
हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानु के फेसबुक वॉल से.