Dinesh Dadsena : लगता है कि बनारस में कारपोरेट मीडिया/भाजपा समर्थित कथित 'सुनामी' के सबसे पहले शिकार ख़ुद पत्रकार हो गए हैं और यह 'सुनामी' उन्हें पूरी तरह बहा ले गई है. सबूत चाहिए तो कल टीवी पर और आज के अखबारों में बनारस में नमो के नामांकन की रिपोर्टिंग पढिए. जिस श्रद्धा और भक्ति से रिपोर्टिंग की गई है, उसमें सबसे पहले तथ्यों को अनदेखा किया गया है.
उदाहरण के लिए आज के टाइम्स आफ इंडिया और इकनामिक टाइम्स की रिपोर्ट पढ़िए. एक ही संस्थान के दो अखबारों के रिपोर्टों में तथ्यों में फ़र्क़ है. उनकी तुलना बाक़ी अख़बारों की रिपोर्टों से कीजिए तो उन सबके बीच तथ्यों का फ़र्क़ साफ़ दिखने लगता है.
अगर मलदहिया से मिंट हाउस,नदेसर की दूरी गूगल मैप के मुताबिक़ १.७ किमी है, उसे २ किमी भी मान लिया जाए और उसे पूरी तरह लोगों से भरा हुआ भी मान लिया जाए तो उसमें ४० हज़ार से ज़्यादा लोग नहीं होंगे. वह लाखों और कुछ अख़बारों/चैनलों में ३ लाख तक कैसे पहुँच गई? थोड़ा सा गणित का इस्तेमाल कीजिए,आपको वहाँ पहुँची भीड़ का अंदाज़ा लग जाएगा. यह ज़रूर 'सुनामी' का ही असर है! श्रद्धा में बह रहे मीडिया में तथ्य बह जाएँ तो क्या आश्चर्य ?
लंदन निवासी दिनेश डडसेना के फेसबुक वॉल से.