Deepak Sharma : फेसबुक पर विरोध नही लोगों को ब्लाक किया जाता है. ब्लाक करना मुझे आता नही और विरोध करना व्यर्थ है. लेकिन एक चरित्र हत्या से थोडा व्यथित हों. जी हाँ जिस तरह नंदना सेन को वस्त्रविहीन किया गया है लाखों लाख वर्चुअल दीवारों पर वो इस देश की संस्कृति नही. हम भूल गए की नंदना देश की ऐसे दुर्लभ संतान है जिनकी मा पद्मश्री और पिता भारत रत्न है. वो हारवर्ड विश्विद्यालय की टापर है. बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ती है और अंतर राष्ट्रीय अभिनेत्री है. नंदना को अपने पिता अमर्त्य सेन के मोदी पर विवादस्पद बयान के लिए निशाना नही बनाना चाहिए. बाप के बोल पर बेटी की बली नही चडाई जा सकती.
मित्रों कोई फिल्म में काम करेगा तो रोल के मुताबिक कपडे ओड़ने उतारने पड़ सकते हैं. अगर नंदना दो फिल्मो में रोल की डिमांड पर टॉपलेस हो गयी तो इसके लिए उन्हें द्रौपदी नही बनाएये. फिल्मो में खासकर अंतर राष्ट्रीय रीयलिस्टिक फिल्मो में हेरोइन का निर्वस्त्र होना शास्त्रीय कला है. इस कला का वैसे ही सम्मान करिये जैसे हमारी संस्कृति में नगर वधुओं का किया जाता था. जैसे खजुराहो के मंदिरों पर शिल्प का किया जाता है. प्लीज़ नंदना की कला का सम्मान कीजिये . परदे पर उनका देह प्रदर्शन एक शास्त्रीय अभिव्यक्ति है. .प्लीज़ इस कला को परखिये जानिये …नदना को नंगना मत बनाईये. वो भारत रत्न पिता और पद्मश्री मा की संतान हैं. उनके DNA का मूल समझिए.
वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से.