उत्तराखंड में आई भयानक तबाही से हर भारतीय दुखी है, वहीं उत्तराखंड के रहने वालों को इस आपदा ने झकझोर कर रख दिया है. पहाड़ पर आई तबाही के बाद पहाड़ पर फिर से जिंदगी आसान बनाने के लिए तमाम उत्तराखंडी अपना छोटा बड़ा योगदान दे रहे हैं. इसी क्रम में उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले पत्रकार तथा समाचार प्लस चैनल के समूह संपादक उमेश कुमार ने भी पहल की है. उन्होंने जरूरत के सामानों के साथ एक ट्रक उत्तराखंड के लिए भेजा है.
समाचार प्लस द्वारा जुटाए गए इस राहत सामग्री के साथ डा. कुमार विश्वास और डाक्टरों की टीम भी उत्तराखंड गई है. चैनल जल्द ही पांच और ट्रक राहत सामग्री के साथ देहरादून भेजने वाला है. उमेश कुमार का कहना है कि इस आपदा से पहाड़ पूरी तरह तबाह हो गया है. अब नए सिरे से इसे बसाने के लिए सभी के योगदान की जरूरत है. मुझसे जितना बन पड़ेगा उतना करूंगा. उन्होंने उत्तराखंड के चयनित बीस गांवों को गोद लेने का ऐलान भी किया है.
उमेश कुमार का कहना है कि इन चयनित गांवों में बिस्तर, कंबल, दवा एवं अन्य जरूरत के सामानों को उपलब्ध कराने के साथ वे बिजली के खंभों और तारों की मरम्मत भी कराएंगे. इसके अलावा डाक्टरों की टीम भी इन गांवों में सक्रिय रहेगी. बच्चों को किताबें तथा अन्य जरूरत की चीजों दी जाएंगी. इन गांवों में आंशिक रूप से टूटी सड़कों का भी निमार्ण कराया जाएगा. उनके इस काम में विदेशों में रहने वाले उनके साथी भी सहयोग कर रहे हैं. ब्रिटेन में रहने वाले प्रवेश कुमार, यूएसए में रहने वाले रोनित तथा दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले सनी के अलावा रैमोन लांबा भी आर्थिक योगदान कर रहे हैं.
इन लोगों के अलावा प्रापर्टी गुरु, सुपरटेक, जीटीए, प्रापर्टी एक्सपर्ट जैसे बिल्डर भी उमेश कुमार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने को तैयार हैं. इसके अलावा समाचार प्लस चैनल के टॉप मैनेजमेंट के लोग अपनी दो दिन की सैलरी उत्तराखंड राहत के लिए दिए जाने की घोषणा की है, जबकि खुद उमेश कुमार अपनी पंद्रह दिन की सैलरी दान करेंगे. इसके अलावा चैनल के अन्य कर्मचारी भी अपनी सहुलियत के अनुसार इसमें योगदान दे रहे हैं.
एक तरफ जहां देश के बड़े बड़े औद्योगिक घराने इस भीषण आपदा पर चुप्पी साधे हुए हैं वहीं उमेश जैसे तमाम युवा उत्तराखंड के एक बड़े इलाके को आबाद करने तथा फंसे लोगों को बचाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं. समाचार प्लस के ही पत्रकार मयंक सक्सेना भी उत्तराखंड में पहुंचकर फंसे लोगों के लिए काम कर रहे हैं.