उत्तराखंड के एक और रीजनल चैनल की डूबने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। जिस तरह की जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक टीवी 100 न्यूज चैनल को बहुत जल्द ही बैसाखियों के सहारे की जरूरत पड़ने वाली है। टीवी 100 के कुमाउं मंडल से ब्यूरो चीफ गौरव गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया है। गौरव गुप्ता टीवी 100 के साथ पिछले कई सालों से जुड़े हुए थे। कहा जा रहा है चैनल प्रबंधन के मनमाने रवैये से तंग आकर गौरव गुप्ता ने चैनल को अलविदा कह दिया है, गौरव ने जैन टीवी के साथ अपनी नई पारी शुरू की है।
इसी तरह से भगवानपुर से रिपोर्टर मोहम्मद अजीम ने भी टीवी 100 से अलविदा कहकर जैन टीवी ज्वाइन कर लिया था। मोहम्मद अजीम भी चैनल प्रबंधन के मनमाने रवैये से तंग आ चुके थे। कुछ साल पहले देहरादून से खुर्रम शम्सी ने चैनल की पॉलिसी से तंग आकर अलविदा कह दिया था अब वो ईटीवी के साथ काम कर रहे हैं। चैनल प्रबंधन की पॉलिसी से तंग आकर ही देहरादून से टीवी 100 के ब्यूरो चीफ शाहीन चैधरी के साथ अनबन हुई और नतीजा ये हुआ कि टीवी 100 ने देहरादून के ब्यूरो ऑफिस पर ताला लगा दिया। ऐसी ही स्थिती मसूरी से रिपोर्टर प्रेम सिंह के साथ हुई, उन्होंने भी चैनल प्रबंधन के मनमाने रवैये से तंग आकर अलविदा कह दिया है।
कुछ ऐसा ही हाल लक्सर से रिपोर्टर श्याम राठी के साथ हुआ, उन्होंने भी चैनल छोड दिया। अब वो भी जैन के साथ जुड गए हैं। टिहरी से अरविंद नौटियाल ने भी कई महीने तक टीवी 100 को छोड़़े रखा। विकासनगर से मोहित यादव को कुछ ऐसे ही कारणों से इस्तीफा देना पड़ा। इसके अलावा दिल्ली देखने वाले राहुल शर्मा ने भी चैनल की पॉलिसी से तंग आकर चैनल से बाय कह दिया। इसके अलावा पिछले दिनों टीवी 100 न्यूज चैनल के नोएडा ऑफिस से भी एक साथ करीब 15 लोगों ने चैनल छोड दिया था। नोएडा ऑफिस में भी अब चैनल के पास एक दो चेहरे की काम के बचे हैं। अगर वो गए तो समझिए टीवी 100 का बंटाधार हो जाएगा।
उधर उत्तराखंड में भी टीवी 100 की टीम लगातार टूट रही है। खबर है देहरादून, हरिदार, उत्तरकाशी, हल्दवानी, रामनगर और काशीपुर समेत कई और जगह के रिपोर्टर लगातार दूसरे चैनल में जाने के रास्ते तलाश रहे हैं। इनमें कई ऐसे रिपोर्टर है जो टीवी 100 के साथ कई कई सालों से काम कर रहे हैं। इस चैनल की सबसे बड़ी परेशानी इस बात को लेकर है कि यहां रिपोर्टर के उपर विज्ञापन का प्रेशर खूब रहता है। इस चैनल में हालात ऐसे हैं कि हर महीने एक टीम को उत्तराखंड और हिमाचल भेजा जाता है। ये टीम रिपोर्टर के साथ रहती है और नए नए तरीके से विज्ञापन निकालना सिखाती है। इस पैसे के आने के बाद ही ऑफिस के कर्मचारियों को सैलेरी बंटती है।
उत्तराखंड के कुछेक रिपोर्टर को छोड़ दें तो चैनल किसी को भी सैलेरी नहीं देता हैं। शुक्र करो रिपोर्टर का कि वो बगैर कुछ लिए मुफ्त में खबरें भेजते रहते हैं। इसके बावजूद भी अगर रिपोर्टर पर विज्ञापन का प्रेशर रहेगा तो वो तो चैनल छोड़ेंगे ही। यही वजह है कि यहां डेढ महीने में एक बार सैलरी मिलती है। टीवी 100 को आप न्यूज चैनल ना कहकर बनिए की दुकान कहे तो ज्यादा बेहतर होगा। क्योंकि इसमें न्यूज चैनल जैसा कुछ है ही नहीं। चैनल से इतने लोगों का निकलना, खतरे की घंटी है। जिस तरह से टीवी 100 की टीम टूट रही है उसको देखते हुए लगता है कि लोकसभा चुनाव तक इसका बाजा बजने वाला है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.