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आरोप-प्रत्‍यारोप, कहासुनी के बीच 21 जून तक चुनाव कराने का निर्णय

: यूपी मान्‍यता प्राप्‍त संवाददाता समिति के चुनाव को लेकर मचा घमासान : यूपी के बड़े पत्रकारों की बैठक में लात-जूता तो नहीं चला, मगर यह होने से बस कुछ पायदान ही बच पाया। तल्‍ख आलोचना, तनाशाही और दलाली के गंदे आरोप, बहिर्गमन और परस्‍पर शर्म-शर्माना जैसी कवायदों के बीच विधानसभा भवन के प्रेसरूम में दो घंटा तक चली इस बैठक में चौथी बार तय किया गया अब 21 जून तक उप्र मान्‍यताप्राप्‍त संवाददाता समिति का चुनाव हर हाल में करा लिया जाएगा। बैठक के बीच में ही एक धड़े ने इस बैठक को अवैध करार देते हुए बैठक से खुद को अलग कर दिया।

: यूपी मान्‍यता प्राप्‍त संवाददाता समिति के चुनाव को लेकर मचा घमासान : यूपी के बड़े पत्रकारों की बैठक में लात-जूता तो नहीं चला, मगर यह होने से बस कुछ पायदान ही बच पाया। तल्‍ख आलोचना, तनाशाही और दलाली के गंदे आरोप, बहिर्गमन और परस्‍पर शर्म-शर्माना जैसी कवायदों के बीच विधानसभा भवन के प्रेसरूम में दो घंटा तक चली इस बैठक में चौथी बार तय किया गया अब 21 जून तक उप्र मान्‍यताप्राप्‍त संवाददाता समिति का चुनाव हर हाल में करा लिया जाएगा। बैठक के बीच में ही एक धड़े ने इस बैठक को अवैध करार देते हुए बैठक से खुद को अलग कर दिया।

रविवार शाम 4 बजे प्रेसरूम में पत्रकारों का जमावड़ा हुआ। समिति की चुनाव को अब तक तीन बार टालने की घटना के खिलाफ हेमंत तिवारी के गुट ने यह बैठक बुलायी थी। लेकिन बाकी गुट भी इस बैठक में पहुंच गये। बमुश्किलन 36 पत्रकारों के बैठने की व्‍यवस्‍था प्रेसरूम में डेढ सौ से ज्‍यादा पत्रकार पहुंच गये थे। नतीजा, बाकी लोगों को रूम से बाहर ही सुनवाई का जायजा लेना पड़ा।

बैठक की कार्यवाही पर पहले व्‍यवधान इसके अध्‍यक्षता के विवाद पर पड़ा। हिसाम सिद्दीकी की सदारत को हेमंत तिवारी का गुट सहन नहीं पाया। हेमंत का कहना था कि जब समिति का कार्यकाल खत्‍म हो चुका है तो हिसाम को अध्‍यक्षता का अधिकार नहीं रह गया है। क्‍यों कि समिति के चुनाव का कार्यक्रम समयबद्ध तक पूरा करने में असफल रहे। इस ऐतराज पर हिसाम ने अध्‍यक्षता की सीट छोड़ दी, लेकिन इससे एक नया ऐतराज खड़ा हो गया। रामदत्‍त तिवारी और शरद ने बैठक में शामिल करने से इनकार करते हुए कहा कि वे लोग समिति से पदाधिकारी हैं, और समिति को अमान्‍य करने की कवायद के बाद से उनका इस समिति की बैठक में शामिल का औचित्‍य नहीं है। लेकिन इन पदाधिकारियों को जैसे ही मनाया गया, हेमंत तिवारी ने बैठक में शामिल करने से इनकार कर दिया। खूब चले आरोप। प्रमोद गोस्‍वामी ने बीचबचाव करते हुए कहा कि समिति पदाधिकारियों की करतूत के चलते हम भी शर्मिंदा हैं और दूसरों को भी शर्म करनी चाहिए। हालांकि उनका कहना था कि अब शिकवा-गिला छोड़कर समिति के चुनाव पर ध्‍यान देना चाहिए।

समिति में अजय कुमार का कहना था कि इस समिति से लाख दर्जा बढि़या तो जिला समिति है, जिसने शहर में कई कार्यक्रम आयोजित कर लिया। दूसरों का भी कहना था कि अब समिति की साख बचाने जरूरत है। एक पत्रकार ने यह सवाल उछाल कर सनसनी उठा दी कि पहले हजरतगंज के सौंदर्यीकरण के चलते 140 करोड़ रुपयों की दलाली के आरोपों पर भी समिति चर्चा करे, जिसमें कई कथित और ईमानदार पत्रकारों के दामन और चेहरे पर दाग पड़े दिख रहे हैं। सवाल यह भी किया गया कि समिति के चुनाव के पदाधिकारियों को भविष्‍य में मुख्‍यमंत्री, मंत्री, अधिकारियों से मिलने से रोका जाए ताकि ऐसे पदाधिकारी दलाली के बजाय समिति सदस्‍यों के हितों के लिए कुछ ठोस कर सकें।

सुभाष मिश्र, सिद्धार्थ कलहंस, प्रांशु मिश्र, संजय शर्मा, काशी यादव, राजकुमार सिंह आदि सदस्‍यों ने समिति और उसके चुनाव की क्रियाविधि पर भी सवाल उठाये। हैरतनाक बात तो यह रही कि समिति में हसीब सिद्दीकी जैसे लोगों ने भी पहली बार बैठक में भाग लिया। आखिर तय किया गया कि हर हालत में 21 जून तक चुनाव हो करा लिया जाएगा।

लखनऊ से कुमार सौवीर की रिपोर्ट. कुमार सौवीर यूपी के जाने माने पत्रकार हैं. दैनिक जागरण, दैनिक भास्‍कर, हिंदुस्तान, महुआ, एसटीवी समेत कई अखबारों और चैनलों में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं. सौवीर अपने बेबाक बयानों और दमदार लेखन के लिए जाने जाते हैं. उनसे संपर्क [email protected] और 09415302520 के जरिए किया जा सकता है.

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