11 फीसदी मुनाफे का दम भरने वाले जागरण ने अपने उन कर्मियों को ही ठिकाने लगा दिया, जिसके दम पर उसने यह मुकाम हासिल किया. निकाले गए कर्मचारी कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे जागरण प्रबंधन परेशान हो गया है. सूत्रों के मुताबिक जो लोग स्वेच्छा से रिजाइन नहीं कर रहे हैं, उन्हें प्रबधन छल से बाहर करने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए उनसे पहले ट्रांसफर लेटर और फिर त्याग पत्र पर हस्ताक्षर कराए जाने की तैयारी है. और ये हस्ताक्षर धोखे से लिए जा सकते हैं. इसके लिए हाल ही में एक मीटिंग भी हो चुकी हैं. कोर्ट जाने की धमकी से तिलमिलाए एडिटर साहब ने अपने चम्मचों से इस समस्या से निपटने को कहा है.
शायद जागरण प्रबंधन को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि देश में लेबर लॉ और कानून व्यवस्था जैसी भी कोई चीज होती है. ये जब चाहें तब निकाल दें और कर्मचारी नौकरी छोडे़ तो इन्हें एक महीने का नोटिस दे वर्ना एक महीने की सैलरी. ये कॉरपोरेट के नाम पर एक बनिये की दुकान है. बातें और तुलना इंफोसिस से करते हैं लेकिन कर्म और सोच किसी बनिये की दुकान से उपर नहीं उठ पाई है. और ऐसा ही रहा तो इनका पतन निश्चित है, क्योंकि कोई भी नया पत्रकार अब इनसे नहीं जुडना चाहता, जो नए छात्र जुड भी रहे हैं वह ज्यादा दिनों तक नहीं टिकते क्योंकि इनकी नीतियां ही एक तरफा हैं. फिलहाल छंटनी के शिकार सभी कर्मचारियों इस कोशिश में लगे हुए हैं कि जल्द ही वे एक बैनल के नीचे आएं.
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