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पश्चिम बंगाल में 1300 मीडियाकर्मी हुए बेरोजगार

पश्चिम बंगाल में शारदा समूह ने अचानक अपने मीडिया संस्थानों को बंद करने की घोषणा कर दी जिससे तकरीबन 1,300 मीडियाकर्मियों को नौकरी चली गई। हालांकि इसके एक दिन के बाद राज्य सरकार ने मदद का हाथ बढ़ाते हुए इस मामले के समाधान के लिए बैठक बुलाने की पेशकश की है। राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, 'हम कोशिश कर रहे हैं कि स्थिति कैसे बेहतर हो। इस मामले के समाधान के लिए एक या दो बैठक बुलाई जाएगी।' हालांकि चटर्जी की बात से कर्मचारियों को कोई खास राहत मिलती नहीं दिख रही है।

पश्चिम बंगाल में शारदा समूह ने अचानक अपने मीडिया संस्थानों को बंद करने की घोषणा कर दी जिससे तकरीबन 1,300 मीडियाकर्मियों को नौकरी चली गई। हालांकि इसके एक दिन के बाद राज्य सरकार ने मदद का हाथ बढ़ाते हुए इस मामले के समाधान के लिए बैठक बुलाने की पेशकश की है। राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, 'हम कोशिश कर रहे हैं कि स्थिति कैसे बेहतर हो। इस मामले के समाधान के लिए एक या दो बैठक बुलाई जाएगी।' हालांकि चटर्जी की बात से कर्मचारियों को कोई खास राहत मिलती नहीं दिख रही है।

15 अप्रैल को बंगाली चैनल तारा म्यूजिक में जो कुछ हुआ वह प्राइम टाइम पर प्रसारित होने वाले किसी धारावाहिक की तरह था, लेकिन इसकी पटकथा पहले से तैयार नहीं थी। चैनल के करीब 850 कर्मचारियों को अचानक पता चला कि उनकी नौकरी चली गई है। दरअसल चैनल के मालिक शारदा समूह ने न केवल तारा म्यूजिक बल्कि अपने अन्य मीडिया संस्थानों बंगाल पोस्ट, सकल बेला, आजाद हिंद, तारा न्यूज और तारा बांग्ला को अचानक बंद कर दिया है। इसे राज्य में इन मीडिया संस्थानों में काम करने वाले तकरीबन 1,300 लोगों की नौकरी चली गई है।

तूणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने कहा, 'किसी न किसी को यह देखना होगा कि मीडिया संस्थानों को पैसा कहां से आता है। इस मामले में मीडिया समूह के चिट फंड कारोबार से पैसा आता है। लेकिन चिट फंड मॉडल हमेशा अस्थिर होता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि करीब 1,300 पत्रकार अब बेरोजगार हो गए हैं।' उन्होंने कहा कि जो कुछ भी हुआ वह बेहद दुखद है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आगे इस तरह की घटना नहीं हो। केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी को संयुक्त रूप से इस मसले पर ध्यान देना चाहिए। इस मामले पर शारदा समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुदीप्त सेन से प्रतिक्रिया के लिए उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

हालांकि बाजार नियामक सेबी ने सामूहिक निवेश योजनाओं पर कठोर नीति शुरू की है। इसके पहले मई 2012 में सेबी ने एक आदेश जारी कर कोलकाता की एक कंपनी को निर्देश दिया था कि वह आम लोगों से पैसा नहीं उठाएं। दिसंबर 2012 में कंपनी के खिलाफ दूसरा आदेश जारी कर कंपनी के खिलाफ मुकदमा चलाने के बारे में चेताया गया था। उल्लेखनीय है कि इस साल 10 अप्रैल को सेबी ने एक आदेश जारी कर आलू बॉन्ड योजना को लेकर भी निवेशकों को सतर्क किया था। वर्ष 2010 के दौरान जब पूरे देश के मीडिया जगत में मंदी के बादल छाए थे तो बंगाल में मीडिया में अचानक तेजी देखी जा रही थी।

दरअसल बंगाल के मीडिया जगत में अब तक लगभग अनजान शारदा समूह ने एक के बाद एक कुल 6 मीडिया संस्थान शुरू कर पश्चिम बंगाल में सुस्त पड़े मीडिया बाजार में अचानक तेजी ला दी थी। दरअसल राज्य के ज्यादातर मीडिया संस्थानों की कमाई का मुख्य जरिया चिट फंड या बहुस्तरीय कंपनियां हैं। ऐसे में बाजार नियामक सेबी द्वारा उठाए गए कठोर कदमों से चिट फंड कारोबार को धक्का लगा और कई मीडिया संस्थानों की हालत पतली हो गई। (बीएस)

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