कुकुडडूमा कोर्ट ने दैनिक जागरण के सीजीएम निशिकांत ठाकुर एवं अखबार पर 1500 रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने यह आदेश एक मामले में पांच सुनवाइयों के बाद भी जवाब दाखिल नहीं करने पर दिया है. जागरण प्रबंधन को कोर्ट ने चेतावनी भी दी है. इसके बाद से ही निशिकांत ठाकुर और उनके लोगों में दहशत है. मामला साल भर से चल रहा है. जागरण के पुराने कर्मचारी अरुण कुमार राघव ने ही जागरण को कोर्ट में घसीटा है.
जानकारी के अनुसार दैनिक जागरण, दिल्ली में काम करने वाले अरुण कुमार राघव से प्रबंधन ने इस्तीफा मांग लिया था. राघव की गलती इतनी थी कि उन्होंने सीजीएम निशिकांत ठाकुर के साले कविलाश मिश्र के पैसे मांगने की शिकायत प्रबंधन से कर दी थी. प्रबंधन द्वारा इस्तीफे की मांग किए जाने के बाद अरुण ने 30 जुलाई 2011 को अपना इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने प्रबंधन से अपना रिलीविंग लेटर तथा प्रमोशन लेटर मांगा, परन्तु निशिकांत ठाकुर एवं दैनिक जागरण प्रबंधन ने उनको ये कागजात उपलब्ध नहीं कराए.
इसके बाद अरुण एक न्यूज चैनल में काम करने लगे तो निशिकांत ठाकुर के लोगों ने उक्त चैनल प्रबंधन को बता दिया कि इनके पास रिलीविंग लेटर व अन्य डाक्यूमेंट नहीं है, जिसके बाद इन्हें वहां से निकलने को मजबूर होना पड़ा. इसके बाद अरुण ने कोर्ट का सहारा लिया तथा निशिकांत ठाकुर तथा जागरण प्रबंधन को पार्टी बनाया. कोर्ट के माध्यम से ही उन्होंने अपना रिलीविंग लेटर व प्रमोशन लेटर मांगा. कोर्ट में पहले दो पेशी पर जागरण की तरफ से कोई नहीं आया, जिसके बाद कोर्ट ने सख्ती अपनाई तो जागरण प्रबंधन ने एक अधिवक्ता को अपना पक्ष रखने के लिए भेजा.
बाद की दो सुनवाइयों में जागरण प्रबंधन का वकील ही मामले को जज के सामने रखा. गुरुवार यानी 31 मई को इस मामले में पांचवीं सुनवाई थी, जागरण प्रबंधन की तरफ ना तो कोई आया और ना ही अरुण की रिलीविंग लेटर और प्रमोशन लेटर उपलब्ध कराया. इसका विरोध करते हुए अरुण ने कोर्ट से कहा कि यह तो उचित नहीं है कि मैं पांचों सुनवाइयों के दौरान मौजूद रहा पर उधर से कोई नहीं आया. मैंने ऐसा क्या मांग लिया, जो जागरण प्रबंधन नहीं दे पा रहा है. उन्होंने जागरण के रवैये पर नाराजगी जताया, जिसके बाद कोर्ट ने निशिकांत ठाकुर एवं जागरण को 15 सौ रुपये का जुर्माना लगाया तथा कोर्ट में जल्द से जल्द रिलीविंग लेटर और प्रमोशन लेटर सबमिट करने को कहा.
अनिल सिंह की रिपोर्ट.