दैनिक जागरण, गोरखपुर से खबर है कि छंटनी के शिकार बनाए जाने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार के चेतावनी से प्रबंधन के हाथ-पांव फूल गए हैं. प्रबंधन ने छंटनी के लिए चार-पांच कर्मचारियों की लिस्ट बनाई हुई है, जिसमें एक वरिष्ठ पत्रकार भी शामिल हैं. इनकी गिनती गोरखपुर में जागरण के सीधे-सरल और साख वाले पत्रकारों में की जाती है. ये पिछले बाइस सालों से दैनिक जागरण को गोरखपुर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इनकी ना तो किसी से दोस्ती है ना किसी से बैर, इसके चलते ही प्रबंधन के निशाने पर आ गए हैं.
इन्हें बुलाकर इनसे इस्तीफा देने के लिए कहा गया तो इन्होंने प्रबंधन से साफ कह दिया कि 22 साल इस संस्थान के साथ गुजारा, अब रिटायरमेंट का समय है. नौकरी कहीं मिलने नहीं वाली, इस्तीफा देने के बाद मरने वाली नौबत आ जाएगी. इसलिए इस्तीफा देकर मरने से अच्छा है कि मैं जागरण कार्यालय के सामने आत्मदाह कर लूं. उन्होंने बहुत ही सख्त लहजे में प्रबंधन को चेता दिया है कि मैं आत्मदाह करूंगा और इस कामना के साथ कि जागरण समूह पूरी तरह नष्ट हो जाए.
इनके इस चेतावनी के बाद जागरण प्रबंधन के हाथ-पांव फूल गए हैं तथा सांसें हलक में अटक गई है. जागरण के पत्रकारों में तो प्रबंधन के रवैये को लेकर रोष है ही, अब दूसरे अखबारों के पत्रकार भी जागरण के साथियों के साथ हो रही इस नाइंसाफी से बहुत ही कुपित हैं. अखबार को बनिया की दुकान बना दिया गया है, जहां जब मन किया सौदा दिया, नहीं मन किया तो टरका दिया. पर पहली बार जागरण प्रबंधन के हरामखोरी को करारा चेतावनी मिली है. अगर खुदा ना खास्ता इस तरह की स्थिति हो गई तो जागरण प्रबंधन को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
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