हिसार : भले ही दैनिक जागरण देशभर में अपने आप को नंबर वन कहने व विश्वसनीयता का परिचय देने के लिए ढिढ़ोरा पीटता हो। लेकिन यहां सच्चाई कुछ और ही बंया कर रही है। अगर आप हिसार यूनिट में हुई कर्मियों की छंटनी लिस्ट पर नजर डाले तो जागरण की सारी विश्वसनीयता का पता लग जाएगा। डेस्क सूत्र बता रहे हैं कि मैनजमेंट ने जो छंटनी लिस्ट मांगी थी उसमें अजय सैनी को शिकार बना लिया गया।
इसी तरह सिरसा के चीफ रिपोर्टर धर्मेंद्र यादव, फतेहाबाद के चीफ रिपोर्टर व हिसार के चीफ रिपोर्टर मणिकांत मयंक से ज्यादा कई हजार आगे वेतन पाने वाले मिडल पास सिटी कार्यालय के फोटोग्राफर गुलशन बजाज की जगह मात्र 8 हजार रुपये पाने वाले बीए पास गेरा को निशाना बनाया गया। बजाज की प्रतिमाह आय लगभग 19 हजार रुपये है। ऐसे में उक्त चीफ रिपोर्टर गुलशन बजाज की सैलरी अधिक होने के कारण उससे जलते हैं।
अगर कंपनी अपने ही नियमों पर नजर डालती तो 12 साल से एक ही जगह पर कार्यरत बजाज का तबादला होना सुनिश्विचत था। लेकिन बजाज के सिर पर जीएम का हाथ होने के कारण उसे राजनीति के सहारे बचा लिया गया। बताया तो यह भी जाता है कि थोड़े दिन पहले ही बजाज की 'नौलखा कूड़ादान' फोटो को लेकर समाचार संपादक सुनील कुमार झा व चीफ रिपोर्टर मणिकांत मयंक व डेस्क इंचार्ज कुंदन वशिष्ठ की तीन दिन की सैलरी काटने के आदेश मिले थे, लेकिन तीनों ने मैनेजमेंट को माफी नाम लिख कर भेजा था। तभी यह मामला शांत हुआ।
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