Vikram Singh Chauhan : मुझे अच्छी तरह से याद है गुजरात दंगों पर मार्च 2002 में लिखे गए मेरे लेख ने मुझे पहली नौकरी दिलाई थी. छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित अख़बार देशबंधु में "पाठकों के पत्र" स्तंभ में मैंने गुजरात दंगों पर टूटे-फूटे और अस्पष्ट हिंदी में अपनी भावनाओं को लिखा था. यह लेख संपादक को पसंद आया और उन्होंने तुरंत मुझे संपादकीय विभाग में रख लिया. रुचिर गर्ग सर ने मेरा इंटरव्यू लिया. मैंने तब उनसे कहा था गुजरात दंगा हुआ नहीं, होने दिया गया! नरेन्द्र मोदी ने राजधर्म का पालन नहीं किया!
रुचिर सर ने मेरा हौसला बढाया और तबसे मैंने पत्रकारिता में पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज उसी व्यक्ति को देश का भावी प्रधानमंत्री बताया जा रहा है. उसके लिए मेरे मन में गुस्सा आज का नहीं पिछले 11 सालों का है और आज भी मैं लिख रहा हूं पर इस बार अख़बार की जगह फेसबुक है. ऐसे व्यक्ति के हाथों हम देश कैसे दे सकते हैं जो हिन्दू वोट बैंक के लिए देश के दूसरे कौम के लोगों को मरवा सकता है! ऐसे लोग किसी धर्म के नहीं हो सकते! मोदी और भाजपा कट्टरवादी हिन्दुत्व का पोषक हैं. दंगो का न दाग मिटा है और न धब्बे छूटे हैं! और हमारी कलम भी नहीं रुकी है.
पत्रकार विक्रम सिंह चौहान के फेसबुक वॉल से.