रांची में रहकर न्यू मीडिया के जरिए मुख्यधारा की मीडिया के स्याह-सफेद को उजागर करने वाले मुकेश भारतीय को तरह-तरह की प्रताड़ना झेलनी पड़ी. राजनामा डाट काम के जरिए मीडिया वालों की पोलखोल वाली खबरें प्रकाशित करने के कारण मुख्यधारा के मीडियावालों ने ही मुकेश को फंसा दिया. मुकेश भारतीय ने रांची बेस्ड पायनियर अखबार के कर्ताधर्ताओं के कारनामों को उजागर किया था. रांची के कई अन्य अखबारों चैनलों के अंदर की हकीकत को प्रकाशित किया था. इस कारण मीडिया के स्वयंभू स्थानीय महारथी मुकेश से चिढ़ गए.
बाद में इन स्वयंभू मीडिया महारथियों ने पुलिस-माफिया-सत्ता से गठजोड़ कर मुकेश के उपर पंद्रह लाख रुपये रंगदारी मांगने का फर्जी मुकदमा लादा और फिर उनकी आतंकवादियों के समान आधी रात में घर में से छापा मार कर गिरफ्तारी
कराई गई. उन्हें थाने में हवालात में कई घंटे रख कर प्रताड़ित किया गया. बाद में जेल भेज दिया गया. जेल से लौटने के बाद भी मुकेश के तेवर ढीले नहीं पड़े. उन्होंने पत्रकारिता जारी रखा. सीमित संसाधनों में उन्होंने ''बदलता बिहार-झारखंड'' अखबार अभी हाल में ही लांच किया है.मुकेश भारतीय वेब और प्रिंट मीडिया के जरिए झारखंड की भ्रष्ट मीडिया से लेकर अफसरों, नेताओं की पोल खोलने के काम में लगातार सक्रिय हैं. मुकेश भारतीय नामक शख्स की कहानी भारतीय मीडिया के एक ऐसे आम पत्रकार की कहानी है जो कारपोरेट मीडिया का हिस्सा बनने की जगह खुद के कलम पर भरोसा कर न्यू मीडिया और प्रिंट मीडिया के जरिए अपना काम शुरू करता है और उन सच्चाइयों को सामने लाता है जिसे कारपोरेट घराने के गुलाम संपादक व पत्रकार छिपाते रहते हैं. सत्ता से गठजोड़ कर संसाधनों की बंदरबांट-लूटपाट में जुटी मुख्यधारा की मीडिया व इसके मैनेजमेंट को क्षेत्रीय स्तर पर आइना दिखाने का काम मुकेश भारतीय ने किया.
गुलामी और समझौता पसंद न करने वाले दिल्ली से दूर रह रहे नौजवानों के लिए मुकेश भारतीय रोलमाडल की तरह हैं जो अपने कार्यों और अपने साहस से अपना रास्ता, अपनी छवि और अपनी मंजिल पाने का माद्दा रखते हैं और इसके जरिए असली व सरोकारी पत्रकारिता कर पाते हैं. मुकेश ने अपने कलम और काम के जरिए यह साबित किया है कि असल पत्रकारिता पूंजीपतियों के अखबारों चैनलों में काम करने वाले पत्रकार नहीं बल्कि न्यू मीडिया और सीमित संसाधनों में शुरू किए गए अखबारों-मैग्जीन को चला रहे नौजवान कर रहे हैं और इसके एवज में उन्हें 'पुरस्कार' स्वरूप सत्ता व मीडिया की मिलीजुली साजिश के तहत तरह-तरह की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है.
मुकेश भारतीय को भड़ास विशिष्ट सम्मान 2013 प्रदान करके भड़ास उन वैकल्पिक व समानांतर माध्यमों को सम्मानित करता, बढ़ावा देता है जो मुख्यधारा की मीडिया समेत पूरे देश के सत्ता-सिस्टम की असली पोलखोल वाली खबरें छापते हैं और इन्हें आइना दिखाने को मजबूर करते हैं. मुकेश भारतीय को 17 मई को दिल्ली में आयोजित भड़ास के पांचवें स्थापना दिवस के एक जलसे में सम्मानित किया जाएगा.
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