पिछले काफी समय से संजय शर्मा लखनऊ में अपना खुद का अखबार निकाल रहे हैं. वीकली अखबार. वीकएंड टाइम्स. इस वजह से वे यूपी के उन मसलों पर भी बेबाक तरीके से लिख बोल पाते हैं जिसे बड़े अखबार और चैनल नहीं उठाते दिखाते. बड़े-बड़े अफसरों को उनकी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान आइना दिखाने वाले संजय शर्मा ने यूपी की पत्रकारिता में साहस के साथ सरोकारी तेवर का हस्तक्षेप बढाया है.
अब जहां बड़े अफसरों नेताओं की प्रेस कांफ्रेंस का मतलब चुप्पी मार कर उनकी बात सुनना रह गया है, वहीं संजय शर्मा अपने तीखे और सामयिक सवालों के जरिए नीतिगत मसलों पर अफसरों और सत्ता को अपना नजरिया सामने लाने को मजबूर करते हैं.
केंद्र की प्रमुख योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में गरीबों को इलाज देने में किये गए भ्रष्टाचार को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री के सचिव आलोक कुमार की वीकएंड टाइम्स के सम्पादक संजय शर्मा ने पिछले दिनों धुलाई की. इस बाबत भड़ास पर खबर प्रकाशित हुई थी. लिंक ये है-
लखनऊ के पत्रकार संजय शर्मा ने यूं खोली मुख्यमंत्री के सचिव आलोक कुमार की पोल
कानून व्यवस्था के मसले पर संजय शर्मा ने यूपी के तत्कालीन डीजीपी को अपने सवालों से बगले झांकने को मजबूर कर दिया था. लिंक ये है-
यूपी के डीजीपी ने ये क्या कह दिया! (देखें वीडियो)
संजय ने प्रदेश के प्रमुख सचिव (नियुक्ति) राजीव कुमार के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके कहा था कि जब दो साल की सजा के बाद कोई नेता या व्यक्ति एमपी और एमएलए का चुनाव नहीं लड़ सकता तो तीन साल की सजा पाए आईएएस नौकरी कैसे कर सकता है. संजय की याचिका पर अदालत ने प्रदेश सरकार को और सीबीआई को नोटिस जारी कर दिया. संजय पर नौकरशाहों का भारी दबाव पड़ा कि ये याचिका वापस हो जाए पर संजय अड़े रहे. संजय ने इस कार्य के जरिए साबित किया कि पत्रकार अगर एक्टिविस्ट होकर अदालतों तक मसलों को पहुंचाने लगे तो बेइमानों में भय व्याप्त हो जाए… संबंधित खबरों का लिंक…
- संजय शर्मा भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को और धार देने में जुटे हैं
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- भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण देने वाले मुलायम का अखिलेश से बेहतरी की उम्मीद करना बेमानी है
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- पत्रकार संजय शर्मा ने यूपी सरकार को आइना दिखाया, नौकरशाही में हड़कंप
संजय 23 वर्षों से मीडिया में हैं. प्रिंट और इलेक्ट्रानिक दोनो मोर्चों पर सक्रिय रहे. 1997 में आसियान देशो की कवरेज के लिए मलेशिया गए. अपने खुद के अखबार के जरिए उन्होंने न सिर्फ कई लोगों को रोजगार दिया बल्कि मुख्यधारा की मीडिया जिन मुद्दों को अनदेखा करती है, उन्हें प्रमुखता से उजागर करते रहे.
संजय शर्मा अपने अखबार के अलावा फेसबुक से लेकर वेब-ब्लाग पर भी खासे सक्रिय रहते हैं. उन्हें भड़ास विशिष्ट सम्मान 2013 के लिए चुन कर भड़ास ने पत्रकारिता की उस धारा को प्रणाम किया है जो अपने एक्टिविज्म से सत्ता-शासन पर जनपक्षधर बने रहने के लिए दबाव बना पाते है. संजय शर्मा को 17 मई को दिल्ली में आयोजित भड़ास के एक समारोह में सम्मानित किया जाएगा.
भड़ास पर संजय शर्मा के लिखे कुछ आर्टिकल्स पढ़ने के लिए लिंक ये है- भड़ास पर संजय