मुंबई : महाराष्ट्रा में मराठी भाषा के नाम पर राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों द्वारा पिछले कुछ समय से राज्य में रहने वाले और काम करने वाले लोगों को मराठी भाषा आना अनिवार्य किये जाने की मांग के बाद अब गृहविभाग ने भी इस पर अमल करते हुए राज्य के 21 आईपीएस अधिकारियों को नोटिस थमाते हुए कहा कि मराठी सीखें अन्यथा आप के वेतन में बढ़ोतरी रोक दिया जायेगा।
महाराष्ट्र राज्य सरकार में 21 आईपीएस अधिकारियों को मराठी भाषा नहीं आने की बात सामने आई है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की नौकरी लगने के बाद से ही मराठी भाषा से अवगत नहीं हुए हैं, इस नोटिस में बताया गया है। नोटिस के मुताबिक राज्य में जो राज्य पत्रित अधिकारी हैं, उन्हें राज्य का भाषा आना आवश्यक है। मराठी महाराष्ट्र की भाषा है, इस भाषा को नजरअंदाज करना गलत है, ऐसा कई राजनीतिक दल कह रहे हैं।
अब अधिकारियों को मराठी सीखने का दबाव गृह विभाग ने डाला है। गृह विभाग ने आईपीएस कक्ष के सहायक संचालक शार्दुल पाटिल के हस्ताक्षर वाला परिपत्र निकालकर मराठी नहीं आने वाले 21 आईपीएस अधिकारियों का वेतन बढ़ोतरी रोकने का आदेश दिया है। इसमें भारतीय पुलिस सेवा में कार्यरत अधिकारियों का समावेश है। इसके साथ ही मराठी की निम्नस्तर भाषा परीक्षा उत्तीर्ण नहीं हुए आईपीएस अधिकारयो का वार्षिक वेतन बढ़ोतरी रोके जाने की जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से मिली है।
मराठी न जानने वाले अधिकारियों की ये है सूची
मुंबई के अपर पुलिस आयुक्त (अपराध) निकेत कौशिक
बृहन्मुंबई मुख्यालय पुलिस उपायुक्त शारदा राऊत
महाराष्ट्र राज्य वीज वितरण कंपनी के दक्षता व सुरक्षा संचालक जगन्नाथ
जलगाव के पुलिस अधीक्षक एस. जयकुमार
औरंगाबाद ग्रामीण पुलिस अधीक्षक ईशू सिंधू
डॉ. सौरभ त्रिपाठी (अमरावती ग्रामीण)
नियती ठक्कर (औसा, जि. लातूर)
अंकित गोयल (चांदूर, अमरावती ग्रामीण)
शैलेश बलकवडे (कन्नड, औरंगाबाद ग्रामीण)
एम. राज कुमार (उमरगा, उस्मानाबाद)
दीपक आत्माराम साळुंखे (रामटेक, नागपूर ग्रामीण)
बसवराज तेली (पाचोरा, जळगाव)
अक्कनौरू प्रसाद प्रल्हाद (सांगली)
अमोघ जीवन गांवकर (सोलापूर ग्रामीण)
पंकज अशोकराव देशमुख (अमरावती ग्रामीण)
मंजुनाथ सिंगे (अलोका)
मुंबई से नागमणि पांडेय की रिपोर्ट.