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जागरण में बंपर छंटनी (22) : गोरखपुर के चार पत्रकारों का दूरदराज तबादला किया गया

दैनिक जागरण, गोरखपुर से खबर है कि छंटनी के शिकार बनाए जाने की लिस्‍ट में शामिल एक वरिष्‍ठ पत्रकार के आत्‍मदाह की चेतावनी से बौखलाए प्रबंधन ने उनके समेत चार लोगों का तबादला दूर दराज के यूनिटों में कर दिया है. प्रबंधन ने इन लोगों की छंटनी की लिस्‍ट तैयार की थी. इनसे इस्‍तीफे की मांग की गई, जिसके बाद जागरण के वरिष्‍ठ सहयोगी ने प्रबंधन को सख्‍त चेतावनी दी थी. मामला फंसते देख प्रबंधन ने त‍बादले की रणनीति अपनाई और चार लोगों को दूसरे यूनिटों में जाने का फरमान सुना दिया.  

दैनिक जागरण, गोरखपुर से खबर है कि छंटनी के शिकार बनाए जाने की लिस्‍ट में शामिल एक वरिष्‍ठ पत्रकार के आत्‍मदाह की चेतावनी से बौखलाए प्रबंधन ने उनके समेत चार लोगों का तबादला दूर दराज के यूनिटों में कर दिया है. प्रबंधन ने इन लोगों की छंटनी की लिस्‍ट तैयार की थी. इनसे इस्‍तीफे की मांग की गई, जिसके बाद जागरण के वरिष्‍ठ सहयोगी ने प्रबंधन को सख्‍त चेतावनी दी थी. मामला फंसते देख प्रबंधन ने त‍बादले की रणनीति अपनाई और चार लोगों को दूसरे यूनिटों में जाने का फरमान सुना दिया.  

जिन लोगों के तबादले किए गए हैं उनमें वरिष्‍ठ पत्रकार एवं सीनियर सब एडिटर योगेश लाल श्रीवास्‍तव तथा सीनियर सब एडिटर वीरेंद्र मिश्र 'दीपक' को जम्‍मू यूनिट भेजा जा रहा है. सीनियर सब एडिटर धर्मेंद्र पाण्‍डेय का तबादला छत्‍तीसगढ़ की राजधारी रायपुर के लिए किया गया है. उन्‍हें नईदुनिया में ज्‍वाइन करने का निर्देश दिए गए हैं. सब एडिटर मनोज त्रिपाठी का तबादला मुजफ्फरपुर के लिए किया गया है. इनमें से किसी ने भी तबादला आर्डर रिसीव नहीं किया है.

बताया जा रहा है कि स्‍टेट हेड रामेश्‍वर पाण्‍डेय ने इन लोगों को मेल से सूचित किया है कि ये लोग तबादले वाले यूनिट में सात दिन के भीतर पहुंचकर संपादक को रिपोर्ट करें. इसमें लिखा गया है कि सभी का तत्‍काल प्रभाव से स्‍थानांतरण किया जा रहा है. उल्‍लेखनीय है कि भड़ास पर आत्‍मदाह वाली खबर प्रकाशित होने के बाद प्रबंधन सीधे कार्रवाई करने की बजाय तबादला नीति अपनाते हुए कार्रवाई को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है. इस मेल के बारे में जानकारी मिलते ही चारो लोग कार्यालय से बाहर निकल आए.

जागरण के पत्रकारों में तो प्रबंधन के रवैये को लेकर रोष है ही, अब दूसरे अखबारों के पत्रकार भी जागरण के साथियों के साथ हो रही इस नाइंसाफी से बहुत ही कुपित हैं. अखबार को बनिया की दुकान बना दिया गया है. चारो पत्रकार प्रबंधन की इस हरामखोरी के खिलाफ कानूनी सहारा लेने का उपाय भी कर रहे हैं. जिस तरह का अविश्‍वास का माहौल जागरण के अंदर बना हुआ है कि वो किसी भी स्थिति में ठीक नहीं कहा जा सकता है. आज भले ही जागरण को अपने ब्रांड नेम पर घमंड हो, लेकिन उसको इस जगह पहुंचाने में इन्‍हीं जैसे हजारों पत्रकारों का योगदान रहा है. 'आज' जैसा बड़ा ब्राड भी इन्‍हीं नीतियों को अपनाते हुए रसातल में पहुंच गया. जागरण भी उसी राह पर चल पड़ा दिखता है.


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