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मीडिया को कलंकित करने तथा लूटने वाले चैनल टीवी24 की कहानी

मीडिया को लोकतंत्र को चौथा स्‍तम्‍भ माना जाता है, लेकिन जब मीडिया अपने वास्तविक कार्यों को भूल कर स्वार्थ में लिप्त हो जाये और मीडिया के जरिये पैसा उगाही का धंधा शुरू कर दे तो इसे क्या कहा जाय समझ में नहीं आता। देश में ऐसे कितने न्यूज़ चैनल हैं जो इस तरह के धंधे से ही अपना रोजी–रोटी चला रहे हैं, लेकिन आज आपको एक ऐसे न्यूज़ चैनल के बारे में बता रहा हूँ, जिसे सुन कर आप भी सोचने पर मज़बूर हो जायेंगे। चंडीगढ़ से प्रसारित होने वाले न्यूज़ चैनल टीवी24, जो कि डीश टीवी और डीटीएच डाइरेक्‍ट प्लस पर आन एयर है। लेकिन चैनल की हक़िकत यह है कि यहाँ पर देश भर के प्रतिभावान लोगों को पत्रकार बनाने के नाम पर सरे आम लूटा जा रहा हैं।

मीडिया को लोकतंत्र को चौथा स्‍तम्‍भ माना जाता है, लेकिन जब मीडिया अपने वास्तविक कार्यों को भूल कर स्वार्थ में लिप्त हो जाये और मीडिया के जरिये पैसा उगाही का धंधा शुरू कर दे तो इसे क्या कहा जाय समझ में नहीं आता। देश में ऐसे कितने न्यूज़ चैनल हैं जो इस तरह के धंधे से ही अपना रोजी–रोटी चला रहे हैं, लेकिन आज आपको एक ऐसे न्यूज़ चैनल के बारे में बता रहा हूँ, जिसे सुन कर आप भी सोचने पर मज़बूर हो जायेंगे। चंडीगढ़ से प्रसारित होने वाले न्यूज़ चैनल टीवी24, जो कि डीश टीवी और डीटीएच डाइरेक्‍ट प्लस पर आन एयर है। लेकिन चैनल की हक़िकत यह है कि यहाँ पर देश भर के प्रतिभावान लोगों को पत्रकार बनाने के नाम पर सरे आम लूटा जा रहा हैं।

टीवी स्क्रीन पर हमेशा स्क्राल चलता रहता हैं,  टीवी24 आपको मौका दे रहा है पत्रकार बनने का। देश भर के हज़ारों नौजवान जब उस दिये गये नंम्‍बर पर संपर्क करते हैं तो उन्हें यह कहा जाता है कि आपको चैनल के साथ जुड़ने के लिये डिपोजिट देना होगा, जिसे आप विज्ञापन के पैसों में मैनेज कर सकते हैं। अगर आप जिला स्तर पर जुड़ना चाहते हैं तो आपको पचास हज़ार (50,000) और तहसील स्तर पर पैंतीस हज़ार (35,000) चैनल को पे करना होगा, जिसके एवज में चैनल उक्त व्यक्ति को एक लेटर, आईकार्ड और माईक आईडी थमा कर अपना पल्ला झाड़ लेता है। फ़िर शुरू होता है मनमानी का दौर। जिसके बाद ना तो कोई उस चैनल में उस व्यक्ति की खोज करता है और ना ही अपने पत्रकारों की सुध लेने की किसी के पास फुरसत। अब ऐसे में बेचारा पत्रकार कर भी क्या सकता है? पानी में रह कर मगर से कब तक बैर कर सकते हैं। पैसा का पैसा गया और कोई सुनने वाला भी नहीं, ऐसे में बेचारे अपना दर्द सुनाये भी तो किसे। इतना खोकर भी मुसीबत पीछा कहां छोड़ता है। हद तो तब हो जाती है जब छह महीने बाद उसी जिला से किसी और को पैसा लेकर नियुक्त कर लिया जाता है।

जब इस बात की जानकारी उक्त व्यक्ति को होती है तब वह चैनल प्रबंधन को फोन करता हैं। आपने मेरे होते किसी और को नियुक्त क्यूं किया? तब उस व्यक्ति को मैनेजमेंट की तरफ़ से कहा जाता है आप अपना आई कार्ड और लेटर की फोटो कॉपी भेजिए। जैसे ही वह व्यक्ति चैनल को आई कार्ड और अपना लेटर भेजता है, उसके बाद चैनल द्वारा उस व्यक्ति से पूछा जाता हैं आप ने यह कहां से बनवाया, यह तो नकली है। हमने तो कभी ये आपको दिया ही नहीं। और उपर से उस व्यक्ति को क़ानून का डर दिखा कर चुप करा दिया जाता हैं। अपना पैसा बरबाद कर चुका पत्रकार बेचारा क़ानून का नाम सुनकर ख़ामोश हो जाता है और उनकी यही चुप्पी कितने और लोगों के लुटने का कारण बन जाती है।

अब ज़रा चंडीगढ़ अर्थात चैनल के हेड आफिस का हाल–चाल जान लें। यहां काम करने वालों की खैर नहीं, दिन में 12 घंटे तक काम करना पड़ता है और उपर से यह भी कहा जाता है कि  इतने में काम करना है तो करो वरना रास्ता देखो। अब डॉयरेक्टर साहब की धर्म पत्नी और चैनल की मालकिन की करतूत भी सुन लीजिये। मैडम साहिबा को खुद तो न्यूज़ की कोई जानकारी हैं नहीं फिर भी स्टॉफ़ पर तालिबानी फ़रमान चलाती रहती हैं। एक दिन मैडम का गुस्सा इस क़दर बढ़ गया कि बिना बात के ही वहां काम पर तैनात चपरासी को एक ज़ोरदार थप्पड़ रशीद कर दी। इतना ही नही, बात–बात पर लोगों का वेतन काट लिया जाता हैं। चैनल में स्थाई रिपोर्टर ना के बराबर हैं और चैनल में हर न्यूज़ किसी अन्य चैनल से कैप्चर करके चलाई जाती है, जिसके चलते चैनल को एक राष्ट्रीय चैनल द्वारा नोटिस भी भेजा जा चुका है, फिर भी चैनल अपने हरकतों में कोई सुधार करने को तैयार नहीं। चैनल का मकसद है लोगों से पैसा ठगकर और पेड न्यूज़ के सहारे दिन काटना।

देश की राजधानी दिल्ली में भी चैनल ने अपना ब्यूरो आफिस अक्टूबर में खोला, जिसका संचालक डॉयरेक्टर अपने किसी रिश्तेदार ( रमणदीप सिंह कोहली ) को बनाया। कोहली साहब के लिये ये स्वप्न साकार होने जैसा ही था, क्यूंकि महाशय को लगने लगा कि वह भारत के प्रधानमंत्री से ज्यादा ऊंचे ओहदे पर बैठ गये हैं। मान्यवर कोहली जी अपने पत्रकारों को कहने लगे कि अगर आप हमसे मिल कर रहेंगे तो मैं आप का पूर खयाल रखूंगा। यहां ब्यूरो आफिस में यह फरमान ज़ारी कर दिया गया कि आपको बाइक से ही कवरेज करना पड़ेगा। जैसे–तैसे यहां काम भी शुरू कर दिया गया। अब साहब दिन भर अपने रिपोर्टर और कैमरा मैन पर धौंस दिखाते रहते। ना तो चैनल के पास अपना कोई गाड़ी है और ना ही यूनिट, ऐसे में बेचारे रिपोर्टर के पास बैठने के अलावा और कोई चारा भी नहीं था। जब यहां के पत्रकार चंडीगढ़ फोन करते तो हर बार वहां से झूठा दिलासा दिया जाता रहा। जब बात सेलरी की आई तो यहां के पत्रकारों की सुध लेने वाला कोई नहीं था। आलम यह है कि चार महीने से आर्थिक और मानसिक तौर से परेशान रिपोर्टरों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। चैनल के डॉयरेक्टर ने यहां के स्टॉफ़ को सेलरी देने का वायदा भी किया और सबसे अकांउट नंबर भी मंगवाया गया, फिर भी यहां के स्टॉफ़ को अभी तक सैलरी नहीं दिया गया। बताते चलें कि चैनल के डॉयरेक्टर इकबाल सिंह अहलूवालिया हैं, जबकी चेयरमैन डॉयरेक्टर के पिता और पंजाब के कृषि विभाग के पूर्व चेयरमैन लाभ सिंह अहलूवालिया हैं। ज्ञातव्य हो कि लाभ सिंह अहलूवालिया वर्तमान पंजाब विधान सभा चुनाव में अमलोह से निर्दलीय प्रत्याशी भी थे।

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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