नागपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत 26 श्रमिक संगठनों ने लोकमत प्रबंधन से लोकमत पत्र समूह की सेवा से गैराकानूनी तरीके से हटाए गए 61 पत्रकार/गैर-पत्रकारों को बिना शर्त काम पर वापस लेने की मांग की है.
श्रमिक संगठनों की हाल में हुई एक बैठक में इस कार्रवाई के लिए प्रबंधन की कड़े शब्दों में निंदा की गई और इस आशय का एक प्रस्ताव भी पारित किया गया. प्रस्ताव में केंद्रीय-राज्य सरकार के कर्मियों, ऑटोचालक, रिक्शा चालक और हॉकर्स संगठनों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं.
बैठक में उपस्थित सभी 26 संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव में कहा है कि लोकमत पत्र समूह के कर्मचारी अपनी न्यायिक मांगों को लेकर पिछले कई सालों से शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं. इनमें पालेकर अवार्ड से लेकर तो मजीठिया अवार्ड तक की सभी सिफारिशों को लागू करने, समान काम के लिए समान वेतन देने, वर्षों से ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित और स्थायी करने की मांगें शामिल हैं.
स्पष्ट है कि प्रबंधन ने इन मांगों को लेकर कर्मचारियों के शांतिपूर्ण आंदोलन से चिढ़कर ही इस तरह की कड़ी कार्रवाई की है.
प्रस्ताव में लोकमत श्रमिक संगठन पर अवैध रूप से कब्जा करने की प्रबंधन की कार्रवाई की भी कड़े शब्दों में निंदा की गई है. इसके तहत लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई कार्यकारिणी को हटाकर नई फर्जी कार्यकारी समिति थोप दी गई.
प्रस्ताव में लोकमत प्रबंधन की इस कार्रवाई को न्याय के लिए संघर्ष कर रहे आम आदमी की आवाज को बंद करने की कार्रवाई निरूपित किया गया है और कहा गया है कि यह ऐसे समय हुआ है जब लोकमत पत्र समूह के दोनों प्रमुख मालिक संसद और राज्य विधानसभा में जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं और जनता की आवाज बने बैठे हैं.
प्रस्ताव में 26 संगठनों के प्रतिनिधियों ने सभी 61 पत्रकारों/गैर-पत्रकारों को अतिशीघ्र काम पर बिना शर्त वापस नहीं लेने पर आगे तीव्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है.
अशोक थूल (अध्यक्ष)
गुरप्रीत सिंह (सचिव)