Deepak Sharma : सरकार आती-जाती हैं… "'आप" का जिंदा रहना ज़रूरी है… २८ विधायकों वाली "आप" दिल्ली में अल्पमत सरकार बनाए या ना बनाए इसमें मेरी बहुत रूचि नहीं है …लेकिन "आप" किसी भी कीमत पर अपने चरित्र से समझौता न करे. गांधी के देश में पथभ्रष्ट होती राजनीति में "आप" का जिन्दा रहना ज्यादा ज़रूरी है. आप के २८ विधायक और ५-६ नेताओं के कंधो पर अभी काफी बड़ी ज़िम्मेदारी है. उन्हें दिल्ली की सत्ता में दलाल संस्कृति से दूर रहना होगा. उन्हें आम आदमी के साथ विनम्रता बरतनी होगी. उन्हें सबके साथ सहज होना पड़ेगा अगर वो पार्टी का विस्तार चाहते है.
मेरे पास ख़बरें आ रही है की कुछ नेता और विधायक अभी से गुमान में जीने लगे हैं. उन्होंने आम आदमी के फोन उठाना बंद कर दिए. कुछ विधायकों के बात करने का तरीका बदल गया है. कुछ थोड़ा सा बेरुखे हो रहे हैं. ये लक्षण "आप" के हित में नहीं है. मित्रों, बीजेपी जब सत्ता में आई थी तो उसके पास एक बंगारू लक्ष्मण था जिनके पास तब पहनने के ढंग के कपड़े भी नहीं थे और वो वाकई फक्कड़ थे. दलित और दक्षिण भारतीय होने के कारण वो पार्टी में तेजी से आगे बढ़े. फक्कड़ किस्म के बंगारू दिल्ली में आसानी से तेजपाल के झांसे में आ गये और तहलका के स्टिंग आपरेशन ने उन्हें ख़त्म कर दिया. लेकिन "आप" में तो २८ फक्कड़ है और इनके पीछे एक तेजपाल नही १०० तेजपाल लगे हैं.
मैं नहीं चाहता हूँ कि अगला स्टिंग आपरेशन मुझे या किसी और खोजी पत्रकार को इन्हीं फक्कड़ों में से किसी का करना पड़े. मुझे दुःख होगा अगर मैंने देश में एक नई राजनैतिक शुरुआत की हत्या कर दी. मेरा "आप" से कोई लेना-देना नहीं पर उनकी एक अच्छी सोच का मैं निजी तौर पर समर्थन करता हूँ. मैं चाहता हूँ कि अरविन्द केजरीवाल इन २८ फक्कड़ों और उनमे से कई भोले विधायकों पर दिल्ली की सत्ता पाने से ज्यादा ध्यान दें….क्यूंकि बंगारू की चरित्र हत्या के बाद बीजेपी तो जिन्दा रह सकती है पर भ्रष्टाचार से जंग करने वाली "आप" फिर कभी जीवित नहीं हो पाएगी.
आजतक न्यूज चैनल में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से.